2019 से पहले समाजवादी पार्टी में सहमति-असहमति के बीच किसी जमाने में पार्टी के ‘नंबर-दो’ के नेता रहे शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी से सारे रिश्ते तोड़ लिए हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव के समय से सपा में जारी घमासान के बीच शिवपाल ने इस बार सेक्युलर मोर्चे के सहारे अपनी नयी शुरुआत कर दी है। सेक्युलर मोर्चे के गठन के साथ शिवपाल ने धर्म-निरपेक्ष दलों को अपने साथ जोड़ने का दावा किया है। इसके अलावा वे खुद भी इस बार लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने जा रहे हैं।
खून-पसीने से बनाई है पार्टी :
समाजवादी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सेक्युलर मोर्चे के नेता शिवपाल यादव ने कहा कि मैंने नेताजी के मार्गदर्शन में चार दशक तक अपने खून-पसीने से समाजवादी पार्टी को खड़ा किया है। मैं नेताजी से अलग नहीं हो सकता हूँ। शिवपाल यादव ने कहा कि मैं पिछले दो सालों से पार्टी द्वारा साइडलाइन किया जा रहा हूं लेकिन सच यह है कि मैं हमेशा से ही नेताजी के साथ हूं और उनके द्वारा दी गई सारी जिम्मेदारियां अब तक पूरी निष्ठा से निभाई है। हमने 2 साल तक पार्टी में कोई पद मिलने का इंतजार किया लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ है। यही कारण है कि सपा में हाशिये पर किये गए मेरे जैसे कई अन्य नेताओं के लिए सेक्युलर मोर्चा बनाया है।
पहली बार लडूंगा लोकसभा चुनाव :
मीडिया से बात करते हुए शिवपाल ने कहा कि मैं पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा हूं लेकिन टिकट का फैसला मेरे हाथ में नहीं है। शिवपाल ने अपनी पसंद की सीट को लेकर कोई बयान नहीं दिया लेकिन ये माना जा रहा है कि शिवपाल यादव आजमगढ़ या एटा से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। हालाँकि इसे लेकर किसी ने अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
सेक्युलर मोर्चे की चुनावी योजना पर शिवपाल यादव ने कहा कि मैं फिलहाल उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा कर रहा हूं। अब तक पश्चिम यूपी के साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश के वाराणसी, भदोही, मीरजापुर, देवरिया, गोरखपुर और आजमगढ़ जिलों का दौरा किया है। आगे भी अन्य जिलों का दौरा कर संगठन बनाया जायेगा और सभी को एकजुट किया जाएगा।