कहते हैं स्कूल एक मंदिर होता है और वहां इस मंदिर में अध्यापक रूपी भगवान निवास करते हैं। जिले में भी ऐसी ही एक शिक्षिका है जो बच्चों के भविष्य के प्रति हमेशा चिंतित रहती हैं, उनके छात्र भी उनको भी उतना ही स्नेह देते हैं।
जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर ऊंचाहार विकास खण्ड क्षेत्र स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय नगर क्षेत्र स्थित है जहां पर इंचार्ज प्रधानाध्यापिका के पद पर कार्यरत गीतांजलि शर्मा अन्य अध्यापकों के लिए मिसाल हैं।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]शिक्षिका जो छात्रों को देतीं हैं पुत्रवत स्नेह[/penci_blockquote]
शिक्षिका गीतांजलि शर्मा विद्यालय में पंजीकृत सभी छात्रों को अपने पुत्र की भांति मानती हैं और वे बच्चो के प्रति सदैव चिंतित रहती हैं. जिनके देखभाल में अपने वेतन तक का पैसा खर्च करने में तनिक भी गुरेज नहीं करती हैं.
बच्चों के विद्यालय न आने पर उनके घर पहुंच बच्चों को विद्यालय जाने के लिए प्रेरित करती हैं . यदि वो बीमार हैं तो उसको अपने साथ ले जाकर प्राइवेट अस्पताल तक मे अपने वेतन के पैसा से इलाज करवाने व बच्चों के घर पर खानपान का असुविधा होने तक मे मदद करना उनकी आदत सी बन गई है.
अपने वेतन से कराती हैं अपने छात्रों का इलाज:
उनके इसी कामों को लेकर समाजिक स्तर पर उनका नाम एक कुशल अध्यापिका की भांति है. ये अध्यापिका समाजिक स्तर पर भी फुटपाथ पर पड़े व घूमने वालों की भूख मिटाने से लेकर वस्त्र तक वितरण करती रहती है.
जिस अध्यापिका की कार्यशैली से विभाग का जहां नाम हो रहा तो वही गरीबो के लिए बैसाखी बनकर सहारा देने की एक नजीर बन गई है.
ये अध्यापिका की बुलंद सोच से परिषदीय विद्यालय के अन्य अध्यापक/अध्यापिका भी सीख लेंगे जिससे विभाग की कुरूतियां धीरे धीरे दूर हो रही हैं.
श्रीमती शर्मा की बुलंद सोच विभाग ही नहीं समाज मे चर्चा का विषय है. छात्र भी अपनी शिक्षिका से उतना ही स्नेह करते हैं.
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