राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात एक डॉक्टर पर जिंदा युवक को मृत घोषित करने का आरोप है। जानकारी के मुताबिक परिजन जब युवक को वापस लेकर घर पहुंचे तो उसकी सांसें चलती महसूस हुईं। इसके बाद दोबारा लॉरी अस्पताल ले गए। हालांकि वहां भी डॉक्टरों ने युवक को मृत बताया। परिजनों का आरोप है कि सीएचसी से घर ले जाने में समय नष्ट न होता तो जान बच सकती थी। इसलिए सीएचसी जाकर हंगामा व मारपीट शुरू कर दिया।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]जांच के बाद डॉक्टर को मृत घोषित कर दिया [/penci_blockquote]
मोहनलालगंज के मऊ निवासी बीडीसी सदस्य गंगा सागर उर्फ दादा यादव ने बताया कि उनके साले प्रदीप यादव (22) पुत्र रामसेवक मंगटइया निवासी को रविवार सुबह सीने में अचानक तेज दर्द उठा। इसके बाद उन्हें मोहनलालगंज सीएचसी लेकर पहुंचे। यहां उनका इलाज डॉ. दिवाकर भारद्वाज ने किया। इस दौरान इंजेक्शन लगाने से आराम मिलने पर प्रदीप उनके घर मऊ में रुकने के लिए आ गया। दोपहर दो बजे फिर से प्रदीप के सीने में दर्द उठा तो वह दोबारा सीएचसी पहुंचे। आरोप है कि यहां इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने जांच के बाद प्रदीप को मृत घोषित कर दिया। इसके बाद परिजन घर वापस लौट गए। सीएचसी अधीक्षक डॉक्टर मिलिंद वर्धन ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में डॉ. दिवाकर भारद्वाज से बात की। डॉ. भारद्वाज का कहना है कि मरीज को उपचार के बाद लॉरी रेफर किया था, लेकिन परिवार के लोग लॉरी जाने के बजाय घर लौट गए।
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