पारिवारिक और सियासी विवाद के कारण पूर्व मंत्री और सपा के कद्दावर नेता शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी सेक्युलर मोर्चा का गठन किया है। इस मोर्चे के बनने के बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि यूपी की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। शिवपाल यादव को जमीनी स्तर का नेता माना जाता है। सपा में उनकी हर कार्यकर्ता के बीच एक ख़ास पह्चाना है लेकिन सेक्युलर मोर्चे के गठन के 10 दिन बाद भी कोई बड़ी सियासी हस्ति इस मोर्चे का हिस्सा नहीं बनी है।
29 अगस्त को बनाया था सेक्युलर मोर्चा :
शिवपाल यादव ने सपा में खुद की बेइज्जती की इंतहा होने की बात कहकर 29 अगस्त को सेक्युलर मोर्चा गठित करने का एलान किया था। 2 दिन 31 अगस्त को मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना में राष्ट्रीय एकता सम्मेलन आयोजित किया जिसमें अच्छी भीड़ भी जुटी थी। इससे गदगद शिवपाल ने 2019 में सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान करते हुए 2022 तक की सियासी रणनीति का खुलासा कर दिया था। शिवपाल ने इस दौरान एसपी समेत दूसरे दलों की उपेक्षित नेताओं को मोर्चे में आने का खुला निमंत्रण भी दिया था। इसके बाद से माना जा रहा था कि सपा में टूट होना शुरू हो जायेगी जो अब तक नहीं हुई है।
[penci_blockquote style=”style-2″ align=”none” author=””]29 अगस्त को शिवपाल यादव ने सेक्युलर मोर्चा बनाया था[/penci_blockquote]
कानपुर में नहीं टूट सकी सपा :
समाजवादी पार्टी में पद नहीं मिलने के चलते पूर्व मंत्री शिवपाल यादव ने एक सप्ताह पहले सेक्युलर मोर्चा बनाया था। इसके बाद से कयास लग रहे थे कि कानपुर-बुंदेलखंड के 17 जिलों में अखिलेश से नाराज सपा पदाधिकारी व कार्यकर्ता शिवपाल के साथ जा सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक भी नेता ने अखिलेश का साथ नहीं छोड़ा है। इसके अलावा साइकिल यात्रा को सफल बनाने के लिए घरों से निकलें हैं। इस मामले पर मोर्चा के नेताओं का कहना है कि जल्दबाजी में हल्का कदम नहीं उठाने की रणनीति पर चलकर जल्द बड़ा धमाल मचाएंगे और सामूहिक तौर पर बड़े सियासी लोगों को शामिल कर ताकत दिखाई जाएगी।
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