किसी ने क्या खूब कही है…मंजिल उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है. पंख से कुछ नहीं हौसलों में उड़ान होती है। उक्त पंक्तियां उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़े जनपद श्रावस्ती के सिरसिया ब्लॉक अन्तर्गत सेमरा गांव की बेटी राधा पर बिल्कुल सटीक बैठ रही है जो इस समय अपनी मधुर स्वर से संगीत की दुनिया में उत्तर प्रदेश के साथ-साथ अपने गृह जनपद का नाम देश-विदेश में रोशन कर रही है।

पूरे देश में श्रावस्ती का नाम किया रोशन :

आज हम आपको एक ऐसी बेटी से मिलवाने जा रहे हैं जिसका गृह जनपद बाल विवाह के मामले में पूरे देश में सबसे आगे है। साक्षरता दर के मामले में पूरे उत्तर प्रदेश में सबसे निचले पायदान पर है। जिस जिले में 70 प्रतिशत से अधिक लड़कियां हाई स्कूल में पहुँचने से पहले शिक्षा के मन्दिर से दूर हो जाती हैं, जहाँ लड़कियों के घर से बाहर निकलने पर पाबन्दी होती है। ऐसे माहौल में पली बढ़ी राधा ने समाज के उपरोक्त एक भी कुरीतियों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि राधा ने आज देश के एक निजी टीवी चैनल पर संगीत की दुनिया श्रावस्ती का नाम पूरे देश मे रोशन कर रही है।

उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़ा जिला श्रावस्ती के सेमरा गाँव की रहने वाली 19 वर्षीय राधा श्रीवास्तव ने इस कहावत को सच कर दिया है और आज वह “स्टार प्लस” टीवी सीरियल दिल है हिन्दुस्तानी सीजन 2 में अपने आवाज के जादू से अपने जिले के नाम को देश के साथ-साथ विदेशों में भी रोसन कर रही है।

गाँव से निकल कर बनाई अपनी पहचान :

भारत-नेपाल की सीमा पर श्रावस्ती जिले के एक छोटे से गांव सेमरा में रहने वाली गरीबी में पली बढ़ी अपने पिता के साथ बचपन में हारमोनियम पर गीत और संगीत में रुचि रखकर अपने सफर की शुरूआत करने वाली राधा श्रीवास्तव ने आज ‘दिल है हिन्दुस्तानी सीजन 2′ के बड़े रियल्टी शो के टॉप 5 में जगह बना ली है। इससे पहले भोजपुरी टीवी चैनल के प्रोग्राम “रंग पुरवइया” में भी वह अपना हुनर दिखाकर लोहा मनवा चुकी है। राधा के पिता शिव सहाय लाल श्रीवास्तव बताते हैं कि राधा श्रीवास्ताव को बचपन से ही गाने का काफी शौक था गांव में, स्कूल हो या आस पास जब कभी कोई उत्सव या प्रोग्राम होता था तो राधा गीत गाने के लिए बेकरार रहती थी।

राधा श्रीवास्तव की प्रारंभिक गांव के ही सरकारी स्कूल प्राथमिक विद्यालय लोहटी और जूनियर की शिक्षा उच्च प्राथमिक विद्यालय विशुनापुर लोहटी में हुई जहां के प्रधानाध्यापक राधा के पिता ही थे। इसके बाद राधा ने अपनी हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट की शिक्षा गांव के ही राजेन्द्र दास जनजातीय इण्टर कालेज मसहाकला से पूरा किया। इण्टर की पढ़ाई पूरी होने के बाद पिता ने बेटी की संगीत में रुचि को देखते हुए उसका दाखिला संगीत विद्या पीठ लखनऊ में करा दिया।

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