अखिलेश सरकार भले ही अपने चार साल पूरे होने पर बड़े-बड़े दावे व वादे कर रही हो मगर एक सच्चाई यह भी है कि अखिलेश सरकार कई गंभीर मामलों में असफल हुयी है। आइये जानते हैं कि कौन-कौन से वो मामले हैं जिससे अखिलेश सरकार की छवि खराब हुयी-
अखिलेश यादव :
- सीएम अखिलेश यादव कानून व्यवस्था को सुधारने की चुनौती से उबर नहीं पाए।
- अपराधियों के साथ ही सत्तापक्ष से जुड़े लोगों की हेकड़ी सरकार को भारी पड़ती रही।
- सपा सरकार कानून-व्यवस्था के विषय पर कड़े फैसले लेकर जनता को गंभीरता का संदेश नहीं दे पाई।
- सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं भी लगातार होती रहीं।
- पुलिस प्रतिक्रिया समय को कम करने की योजना पर साल भर से काम चल रहा है।
- अभी तक यह योजना सफल नहीं हो पायी।
- अनिल यादव मामले में सरकार को शर्मिंदगी उठानी पड़ी।
- उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग के अध्यक्ष और माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड के सदस्यों की नियुक्तियों के मामले में भी सरकार की बहुत फजीहत हुई।
- हाईकोर्ट ने इन सभी नियुक्तियों को गलत ठहराया।
- नोएडा अथॉरिटी के निलंबित चीफ इंजीनियर यादव सिंह पर सरकार विवादों में रही।
- रामगोपाल यादव, शिवपाल यादव और आजम खां सरकार के सामने उलझने खड़ी करते रहे।
- समाजवादी पार्टी में फैसलों को लेकर विरोधाभास भी दिखाई पड़ा।
- सीएम अखिलेश यादव ने राज्यपाल पर भी हमला बोला।
- गाज़ियाबाद के दादरी मुद्दे पर यूएनओ महासचिव को पत्र लिखकर भी अपनी ही सरकार पर सवाल उठाये गए।
- बूथों की हेराफेरी के आरोपी तोताराम यादव पर चाचा का घुमाव भी सामने आया।
- तोताराम यादव को कार्यक्रम से गिरफ्तार करा दिया गया।
- ईडी के छापों के बाद भी निष्कासित करने में देरी।
- अखिलेश सरकार यादव सिंह की सीबीआई जांच रुकवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक गई।
- अखिलेश यादव को भले ही मुख्य सचिव आलोक रंजन जैसा भरोसेमंद अफसर मिला,
- लेकिन नौकरशाही पर उनकी भड़ास अक्सर सामने आती रही।
- अखिलेश यादव ने कई मौकों पर कहा कि अफसर किसी के सगे नहीं होते।
- अखिलेश यादव ने तो यहां तक कह दिया कि अगर मेरी कुर्सी गई तो आपकी भी सुरक्षित नहीं रहेगी।
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