उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिला का रहने वाला एक देश का लाल जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले के दौरान शहीद हो गया। विजय की मौत की सूचना मिलते ही पूरे गांव में मातम का माहौल छा गया। विजय अपनी माता-पिता की इकलौते संतान थे। वह एसएसबी 42 बटालियन बहराइच में तैनात थे। जिनकी कंपनी जम्मू कश्मीर में चुनाव कराने गई थी। यहां वंतीपुरा पोस्ट डिस्ट्रिक्ट पुलवामा पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया। इस मुठभेड़ में आतंकवादियों से अकेले लोहा लेते हुए विजय अपनी पोस्ट के सभी अधिकारी व कर्मचारियों की सुरक्षा करने के दौरान शहीद हो गए। इकलौते बेटे की मौत की सूचना मिलते ही यहां उन्नाव में परिजन बेसुध हो गए। शहीद विजय के घर पर सांत्वना देने वालों की भीड़ लगी हुई है।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]पोस्ट के अधिकारी व कर्मचारियों की सुरक्षा देते समय अपनी जान कर दी कुर्बान [/penci_blockquote]
शहीद विजय कुमार (28) का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव बीघापुर थाना क्षेत्र के सिकंदरपुर कर्ण के रावतपुर गांव पहुंचा। यहां विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित भी पहुंचे। विजय की मौत की सूचना मिलते ही पूरे गांव में मातम का माहौल छा गया है। यहां शहीद विजय का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार के दौरान सभी की आंखे नम थी। उनकी आखिरी झलक पाने को हर कोई बेताब था। वहीँ माता-पिता के साथ उनकी पत्नी बेहोश होकर गिर रही थी। देश के वीर सपूत की शहादत पर परिवार के साथ पूरा क्षेत्र गमगीन है। तीन बेटियों के बीच इकलौते पुत्र की शहादत से माता-पिता बेहाल थे। परिवार को ढांढस बंधाने के लिए लोगों का उनके घर पर तांता लगा रहा।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]विजय कुमार तीन बहनों में इकलौते थे[/penci_blockquote]
बीघापुर थाना क्षेत्र के रावतपुर गांव निवासी देवराज गौतम की तीन बेटियों में विजय कुमार इकलौते थे। बचपन से ही उनमें देश सेवा की लालसा थी। बीएससी करने के बाद उन्होंने सशस्त्र सुरक्षा बल में जाने की इच्छा जताई। परिवार का इकलौता होने से माता-पिता ने उनके फैसले पर एतराज जताया, पर देश सेवा का जुनून उन्हें रोक नहीं सका और वर्ष 2011 में एसएसबी में कांस्टेबल पद पर तैनाती पा ली। वर्तमान में वह 42वीं बटालियन की डी कंपनी में बहराइच में तैनात थे। यह कंपनी जम्मू-कश्मीर में चुनाव करवाने गई थी। पुलवामा जिले के अवंतीपुरा पोस्ट में चुनाव के दौरान आतंकवादियों ने सैनिकों पर हमला कर दिया। आतंकवादियों से अकेले लोहा लेते हुए अपने पोस्ट के सभी अधिकारी कर्मियों की सुरक्षा करने में विजय शहीद हो गए।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]एक साल पहले ही हुई थी प्रतिभा से शादी[/penci_blockquote]
विजय कुमार की एक साल पहले प्रतिभा से शादी हुई थी। रविवार की देर रात विजय के शहीद होने की खबर घर पहुंची तो गर्भवती पत्नी प्रतिभा व मां कृष्णावती के होश उड़ गए। सूचना मिलते ही पूरे परिवार रो-रोकर बेहाल हो उठा। विजय अपने परिवार का एकलौता बेटा था। जम्मू कश्मीर से विजय का शव पहले बहराइच पोस्ट पर पहुंचा। उसके बाद सैनिकों की देखरेख में मंगलवार सुबह उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचा। जिला प्रशासन से मिली सूचना पर रात करीब एक बजे थाना प्रभारी मोहम्मद अशरफ शहीद के घर पहुंचे, जहां पिता की घर पर मौजूदगी न देख मां कृष्णा और पत्नी प्रतिभा को सूचना देने का साहस न जुटा सके और चाचा रमेश को जानकारी दी। भतीजे की शहादत पर चाचा फफक पड़े। सभी का रो-रो कर बुरा हाल था। वहीं देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद विजय के परिवार में गम तो है लेकिन उनके माता-पिता को गर्व भी है।
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