भले ही योगी सरकार गायों की रक्षा के लिए योजना चला रही हो लेकिन उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में हजारों की संख्या में घूम रही अन्ना गायें आये दिन मौत के मुंह में समा रही हैं। इन गायों की मौत भूख के कारण हो रही है। ये गायें जब अपनी भूख मिटाने के लिए ये किसानों के खेतों की ओर रुख करती हैं। इससे किसान भी इन्हें अपना दुश्मन मानने लगे हैं। अन्ना गायों की बढ़ती समस्या को देखते हुए सरीला नगर पंचायत की चेयरमैन ने गौशाला बनवाई हैं। जहां पर वे इन बेसहारा गायों की सेवा करती हैं। इससे अन्ना गायों को भी सहारा मिल गया है और किसानों को सबसे बड़ा दुख भी दूर हो गया है।

बता दें कि सूखे की मार झेलने वाले बुंदेलखंड के जिले हमीरपुर में किसान मौजूदा वक्त में अन्ना गायों से बहुत परेशान हैं। घर-घर पूजी जाने वाली गाय यहां अन्ना होने के कारण किसानों के लिए बहुत गंभीर समस्या बन गईं हैं। स्थिति इतनी विकराल हो चुकी है कि आए दिन ये अन्ना गाय इंसानी संघर्ष का कारण तक बन जाती हैं। लेकिन सरीला नगर पंचायत की चेयरमैन शैफाली कुंवर की पहल के चलते सरीला के किसान अब अपने घरों में रात को चैन की नींद सो रहे हैं। यहां के किसानों को अब अपनी फसल की अन्ना गायों से रखवाली के लिए रात-रात भर खेतों में नहीं जगना पड़ता।

सरीला नगर पंचायत द्वारा अन्ना गायों को नियंत्रित करने से नगर पंचायत की चेयरमैन शैफाली कुंवर ने बताया कि आस्था की प्रतीक गाय की दुर्दशा और किसानों की समस्या को समझते हुए उन्होंने बहुत थोड़े से बजट से इन गायों के भोजन एवं इन्हें एक जगह रखने के लिए दो गौशालाओं की व्यवस्था की। जहां मौजूदा वक्त में लगभग 1300 अन्ना गाय हैं। उन्होंने गायों की सेवा एवं उन्हें चराने आदि के लिए सात लोगों को नियुक्त कर रखा है। इसके अलावा भूसा व घास आदि की व्यवस्था भी नगर पंचायत द्वारा की जाती है। शैफाली कुंवर बताती हैं कि अन्ना गायों के नियंत्रित हो जाने से किसान बेहद खुश हैं। उन्हें अपनी फसल की रखवाली के लिए अब खेतों में नहीं सोना पड़ता। उन्होंने बताया कि बहुत से किसान भी खेतों से निकलने वाला भूसा आदि अन्ना गायों के लिए देते हैं जिसे एक जगह स्टोर किया जा रहा है ताकि ठंड के मौसम में इन अन्ना गायों को भूखा न रहना पड़े।

सरीला के किसान राम खिलावन चेयरमैन की इस पहल से बहुत खुश हैं। वे कहते हैं कि अन्ना गायों के झुंड अपनी भूख शांत करने के लिए जिस किसान के खेत की तरफ रुख कर लेते थे उसे पूरा चट कर जाते थे। जिससे किसान बेहद मायूस थे। किसानों ने अन्ना गायों की समस्या को दूर करने के लिए जिला प्रशासन से कई बार गुहार लगाई लेकिन हर बार आश्वासन के अलावा कुछ भी नहीं मिला। चेयरमैन शैफाली कुंवर बताती हैं कि वे अपनी व्यस्तम दिनचर्या से दस मिनट का टाइम निकालकर इन अन्ना गायों की देखरेख करने गौशाला जरूर जाती हैं।

वहां वे गायों को चारा खिलाने के साथ-साथ उनकी देख-रेख की जानकारी लेती हैं। वे बताती हैं कि उनके इस छोटे से प्रयास से किसानों को मिल रही राहत से उनका उत्सावर्धन हुआ है। वे अन्ना गायों को बांधने के लिए और भी गौशाला का निर्माण कराएंगी। वे कहती हैं कि ठंड के मौसम को देखते हुए अन्ना गायों के लिए टीनशेड की व्यवस्था भी कराई रही हैं जिससे इन अन्ना गायों को ठंड से बचाया जा सके। सूखे की मार झेलने वाले हमीरपुर समेत समूचे बुंदेलखंड में अन्ना प्रथा सदियों से चली आ रही है। इस प्रथा के तहत पहले चैत्र मास में फसल कटाई के बाद गोवंश को खुला छोड़ा दिया जाता था लेकिन अब इस प्रथा को किसानों ने हमेशा के लिए अपना लिया है।

गोवंश को छुट्टा छोडऩे के पीछे वजह ये थी कि फसल कटाई के बाद खुले खेतों में इनके विचरण करने और चरने से खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ती थी। खेत में इन जानवरों का गोमूत्र और गोबर खाद का काम करता था। हालात बदले और किसानों ने मशीनों से दोस्ती कर ली और गोवंश से नाता तोड़ लिया। नतीजा ये हुआ कि दूध देने वाले जानवरों के अलावा सभी को अन्ना छोड़ा जाने लगा। समय के साथ-साथ इन अन्ना गायों की तदाद बढ़ती चली गई और मौजूदा समय में ये अन्ना गाय किसानों के लिए सबसे बड़ा दर्द बनकर उभरी हैं। इन अन्ना गायों के अनियंत्रित झुंड जिस ओर भी रुख करते हैं वहीं भारी समस्या पैदा करते हैं। कभी ये झुंड फसल चौपट कर देते हैं तो कभी सडक़ दुर्घटना का कारण भी बनते हैं।

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