उत्तर प्रदेश पॉवर कार्पोरेशन ने अधिकारी घोटालों की जांच दबाने और अपने चहेतों को बचाने के लिए अफसर किस तरह खेल करते हैं, इसकी बानगी यूपी पावर कॉरपोरेशन में हुआ करोड़ों का घोटाला है। 2001 में विजिलेंस विंग ने मामले की जांच के बाद कार्रवाई की संस्तुति की थी। बिजली विभाग को कुछ बिंदुओं पर तकनीकी जांच करनी थी। जांच के बजाय मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और उसके दस्तावेज गायब करवाए जाते रहे। विधानसभा की आश्वासन समिति ने जब सख्ती की तो शुक्रवार को आनन-फानन में हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज करवा दी गई कि घोटाले से जुड़े दस्तावेज गायब हो गए हैं। इस संबंध में विशेष सचिव ऊर्जा इंद्राज सिंह ने बताया कि करोड़ों रुपये का यह घोटाला 2001 में सामने आया था। मामला विधानसभा की आश्वासन समिति में लंबित था। घोटाले की ज्यादा जानकारी नहीं है। इससे जुड़ी फाइलें न मिलने की वजह से समिति के निर्देश पर मुकदमा करवाया गया है।
सूत्रों के मुताबिक 2001 में पावर कॉरपोरेशन में हुए करोड़ों के घोटाले की विजिलेंस जांच हुई थी। भाजपा के तत्कालीन एमएलसी ब्रजभूषण सिंह कुशवाहा ने इस मामले में कार्रवाई के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह को 1 जुलाई, 2001 को पत्र लिखा था। उस पर कार्रवाई के निर्देश तो हुए, लेकिन कार्रवाई हुई नहीं। मार्च, 2002 में भाजपा सरकार चली गई और मई में मायावती मुख्यमंत्री बनीं। 23 अगस्त, 2002 को विधानसभा में इसमें कार्रवाई की प्रगति को लेकर सवाल उठा। इस पर मंत्री ने जल्द जांच का आश्वासन दिया। मंत्री का आश्वासन तो अमल में नहीं आया, लेकिन पत्रावलियां जरूर गायब हो गईं।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]समिति ने सख्त रुख अपनाया तो कहा कि पत्रावलियां नहीं मिल रही [/penci_blockquote]
विधानसभा की आश्वासन समिति की हाल ही में हुई बैठकों में यह मामला फिर उठा। इस पर ऊर्जा विभाग से प्रगति पूछी गई। विभाग के आला अधिकारी समिति को फाइलें ढूंढ़वाने का आश्वासन देते रहे। समिति ने सख्त रुख अपनाया तो बताया कि पत्रावलियां नहीं मिल रही हैं। 28 मई को समिति ने फिर पूछा कि आपने इस पर क्या ऐक्शन लिया तो अफसर जवाब नहीं दे पाए। अगली बैठक में फजीहत से बचने के लिए अफसरों ने 30 मई को पुलिस विभाग के ऑनलाइन पोर्टल पर फाइल गायब होने की सूचना दर्ज करवा दी। समिति इससे संतुष्ट नहीं हुई और ठोस कार्रवाई कर रिपोर्ट देने को निर्देश दिए।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]एफआईआर दर्ज लेकिन पुराने घोटाले से जुड़ी फाइलें तलाशना चुनौती[/penci_blockquote]
शुक्रवार को दोपहर में आश्वासन समिति की बैठक थी। इससे पहले सुबह हजरतगंज थाने में एक तहरीर दी गई, जिसमें कहा गया है कि करोड़ों रुपये के घोटाले पर कार्रवाई से संबंधित पत्रावली या अभिलेख उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। इसलिए 2001- 2002 में कार्यरत अज्ञात अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ इस मामले में एफआईआर दर्ज की जाए। हजरतगंज थाने के इंस्पेक्टर राधा रमण सिंह का कहना है कि एफआईआर दर्ज कर ली गई है, लेकिन इतने पुराने घोटाले से जुड़ी फाइलें और अफसरों को तलाशना चुनौती है।
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