अयोध्या। आदिकवि वाल्मीकि, कबीर, गुरु नानक और तुलसी के राम जिस भूमि पर ‘ठुमक चले रामचंद्र बाजे पायलिया’ की लीला करते थे, वहां जवानों के बूटों की थाप और मंदिर निर्माण के लिए अधीर जनसमूह के कदमों की चाप की गूँज है। यह छावनी संतों की नहीं, खाकी पहने जवानों की है। राम मंदिर मुद्दे पर केंद्र पर दबाव बनाने और दिखाने के लिए विश्व हिंदू परिषद के धर्म संसद कार्यक्रम में लाखों राम भक्तों का हुजूम पहुंच रहा है। रामनगरी छावनी में तब्दील हो चुकी है।
अयोध्या में धर्मसभा के लिए रामभक्तों का शैलाब उमड़ पड़ा। रामभक्तों से अयोध्या की सड़कें और गलियां खचाखच भर गई। राम भक्तों को हाईवे पर रोक कर सीधे धर्म सभा स्थल बड़ा भक्तमाल की बगिया ले जाने की योजना थी, इसके लिए पांच द्वार बनाए गए थे। मगर राम भक्तों का रेला उमड़ा तो पूरी अयोध्या उनके कब्जे में आ गई। हजारों का रेला हाईवे के रास्ते अयोध्या में घुसने लगा। एसपी सिटी अनिल सिसोदिया और एडीएम सिटी विंध्यवासिनी राय हाईवे पर राम भक्तों को रोकने की असफल कोशिश कर रहे थे। उनके साथ आरएएफ थी लेकिन राम भक्त अपने ही रौ में सीधे रामलला का दर्शन करने की मांग पर अड़े रहे।
सुबह 7:00 बजे से ही बूथ नंबर 4 से जालौन, कानपुर, झांसी, आगरा व इटावा के रामभक्तों की भीड़ अयोध्या में दाखिल होने लगी। नया घाट से बस्ती, गोंडा, गोरखपुर, देवरिया, कौशांबी, श्रावस्ती व बहराइच जिलों की भीड़ नगर में छा गई। 8:00 बजे अयोध्या के भीतर करीब 25,000 राम भक्त गलियों और सड़कों पर नाचते-गाते, नारे लगाते दिख रहे थे। पुलिस ने जहां भी रामभक्तों को रोकने की कोशिश की। वहां रामभक्त हर हाल में रामलला के दर्शन की मांग कर आगे बढ़ते जाते। हाल ये रहा कि सुबह 8:30 बजे तक ही रामलला दर्शन मार्ग पर एक किलोमीटर लंबी कतार लग गई थी। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से बाबर के खिलाफ नारे बोले जाते रहे। जबकि महिलाएं जय श्री राम का नारा लगा रहे थीं। बुजुर्गों की टोली भी उनके सुर में सुर मिला रही थी।
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