गठबंधन के बाद सीट बंटवारे को लेकर प्रत्याशियों के चेहरों पर छाई मायूसी, जाने क्या है कारण?
एक तरफ जहाँ गठबंधन को लेकर अन्य विरोधी पार्टियाँ जहाँ सकते में आ गई है। वही दूसरी तरफ गठबंधन के बाद दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों के चेहरों पर भी कही न कही कुछ चिंता की लकीरे नजर आ रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती जल्द ही लखनऊ आने वाली हैं। उनके आने के बाद यह साफ होगा कि गठबंधन में किस सीट पर कौन पार्टी लड़ेगी? मगर यह तो तय है कि गठबंधन होने की स्थिति में कई दिग्गजों के हाथ मायूसी लग सकती है या फिर कहें तो उन्हें अपनी परंपरागत सीट छोड़नी पड़ सकती है। मायावती 10 जनवरी को प्रस्तावित बसपा संगठन की बैठक में इस पर चर्चा कर सकती हैं।
मायावती चाहती है सपा की कुछ परंपरागत सीटें
क्या इस बार के गठबंधन पर दोनों पार्टियाँ एक दुसरे के लिए कर सकती है कुछ नये बदलाव। फिलहाल यह कहना तो अभी कठिन है। अब दिल्ली में मुलाकात के बाद मोटे तौर पर जो तस्वीर उभर कर सामने आई है उसमें 37-37 सीटों पर दोनों के लड़ने पर सहमति बनती हुई नजर आ रही है। सूत्रों का यह भी कहना है कि मायावती सपा की कुछ परंपरागत सीटें भी चाहती हैं, इसको लेकर पेंच अभी फंसा हुआ है।
- बताया जा रहा है कि सपा अपनी इन परंपरागत सीटों को छोड़ना नहीं चाहती है।
- सपा मुखिया अखिलेश यादव इस पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से जल्द विचार-विमर्श कर सकते हैं।
- मायावती के लखनऊ आने की जल्द संभावना है। उनके आने के बाद गठबंधन की स्थिति और साफ होगी।
- अभी तक जो फार्मूला उभर कर सामने आया है उसके मुताबिक नंबर दो वाली सीटों पर दोनों के बीच चर्चा हुई है।
10 जनवरी को प्रस्तावित संगठन की बैठक का है बेसब्री से इंतजार
कहा तो यह भी जा रहा है कि मायावती कुछ ऐसी सीटें भी चाहती हैं, जिसे सपा देना नहीं चाहती है। अब देखना यह होगा कि अखिलेश किस हद तक बसपा के साथ गठबंधन करने पर जा सकते हैं। पर, यह साफ है कि गठबंधन होने की स्थिति में कई दिग्गजों की सीटें या तो कटेंगी या फिर उन्हें दूसरी सीट पर जाना पड़ेगा। वहीं, बसपा में 10 जनवरी को प्रस्तावित संगठन की बैठक का बेसब्री से इंतजार हो रहा है।
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