लोक कल्याण के लिए उस नियम से क्रियान्वित नहीं किए जा रहे संविधान: अखिलेश यादव

सपा अध्यक्ष ने कहा कि पिछड़े वर्ग के लिए शिक्षा एवं नियुक्तियों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। इसके अनुसार यदि कोई परीक्षार्थी इतने अंक प्राप्त कर ले कि आरक्षण की आवश्यकता न हो तो उसे सामान्य श्रेणी में रखा जाता था। परंतु, नए नियम के अनुसार, यदि परीक्षार्थी प्रथम स्थान भी प्राप्त कर ले तब भी उसे 27 प्रतिशत आरक्षण वाली श्रेणी में ही रखा जाता है। नए नियम के कारण पिछड़े वर्ग को आरक्षण का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग (एससी-एसटी) के अध्यक्ष को पत्र लिखकर संविधान में मिले आरक्षण के प्रावधानों को जनहित में प्रभावी बनाने का आग्रह किया है।

आजादी हमारे लिए एक साधन होगा जिससे हम व्यवस्था परिवर्तन के साध्य को प्राप्त कर सकेंगे

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी से लेकर भगत सिंह तक तमाम स्वतंत्रता सेनानियों ने स्पष्ट किया था कि आजादी हमारे लिए एक साधन होगा जिससे हम व्यवस्था परिवर्तन के साध्य को प्राप्त कर सकेंगे। संविधान में आरक्षण का प्रावधान इसी विचार से लागू किया गया है। उन्होंने कहा, हमारा अनुभव है, कि ये प्रावधान लोक कल्याण के लिए उस नियम से क्रियान्वित नहीं किए जा रहे है जिसकी अपेक्षा संविधान निर्माताओं ने जताई थी।

क्रियान्वित करने वालों की मानसिकता क्या है यह उस पर निर्भर करेगा

डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संविधान को लोकार्पित करते हुए कहा था ‘यह संविधान बहुत अच्छा है’ पर इसका लाभ इस बात पर निर्भर करेगा कि इसे क्रियान्वित करने वालों की मानसिकता क्या है? अखिलेश यादव ने कहा कि पिछड़े वर्ग को सरकारी नियुक्तियों से वंचित करने के लिए रोस्टर प्रणाली से नियुक्तियां की जा रही हैं। इसके मुताबिक केवल दो-दो, तीन-तीन पदों पर नियुक्तियां हो रही हैं। इतने कम पदों की नियुक्तियों पर आरक्षण लागू नहीं होता। इससे पिछड़े वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने आयोग के अध्यक्ष से मांग की कि रोस्टर प्रणाली से नियुक्तियों पर रोक लगाने के साथ ही पूर्व की भांति नियुक्तियां की जाएं।

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