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सब ठीक है…हाँ सब ठीक है, ये कहते वक़्त नेताजी की आँखों में ‘टूटते परिवार’ का दर्द साफ़ देखा जा सकता था। 2012 में जब उत्तर प्रदेश की कमान नेताजी ने अपने बेटे अखिलेश के हाथों में सौंपी तो उन्हें तनिक भी अंदाजा नहीं होगा कि ऐसा भी दिन देखने को मिलेगा। वर्चस्व की लड़ाई कहीं अस्तित्व की लड़ाई  में तब्दील ना हो जाए इसलिये नेताजी ने गले तक मिलने पर मजबूर कर दिया, पर शायद दिलों को नहीं मिला सके। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अखिलेश का ना होना अपने आप में ये संकेत देता है कि अभी ‘सब कुछ ठीक नहीं है’।

सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव ने नेताजी के सामने 3 मांगें रखी हैं, जिन पर अभी नेताजी ने हामी नहीं भरी है, और इसलिए आज मुख्यमंत्री सामूहिक प्रेस वार्ता में नहीं दिखे।

अगले पेज पर: क्या हैं अखिलेश की 3 मांगें

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अखिलेश यादव ने नेता जी से मांगे हैं ये 3 वरदान

१. रामगोपाल यादव को तत्काल प्रभाव से पार्टी में वापिस लिया जाए
२. संगठन शिवपाल देखें पर टिकट बंटवारे में उनकी भी अहम् भूमिका हो
३. अमर सिंह को पार्टी से दूर रखा जाए, सभी पद वापिस लिए जाएँ
अखिलेश की बातों में तर्क जरूर है, अगर चुनाव में परीक्षा उनकी है तो उम्मीदवारों का चयन उनके हिसाब से क्यों ना हो? हालाँकि नेताजी ने ये कहकर कि ‘मुख्यमंत्री का चयन विधायक दल करेगा’ अखिलेश को झटका जरूर दिया है। ऐसे में ये देखना भी रोचक होगा कि क्या अखिलेश शिवपाल को मंत्रालय वापिस देंगे? उत्तर प्रदेश विद्यानसभा चुनावों की तस्वीर कमोवेश साफ़ होती नज़र आ रही है, एक बात तो तय है कि इस परि’वॉर’ की वजह से सपा को काफी नुकसान हुआ है। लेकिन 2017 का चुनाव किधर जाएगा ये कहना दूर की कौड़ी होगी, यहाँ हर चाय की गुमटी के साथ मुख्यमंत्री बदलते रहते हैं।

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