उत्तर प्रदेश ही नहीं देश का सबसे बड़े सियासी परिवार माने जाने वाले मुलायम कुनबे में 24 साल बाद हुई फूट को नाटकीय माना जा रहा है। प्रो. रामगोपाल की चिट्ठी के साथ शुरू हुआ यह ड्रामा मंगलवार को मुलायमक की प्रेस कॉन्फ्रेस के साथ समाप्त हो गया। अब जब मुलायम कुनबे का घमासान थम चुका है। राजनीतिक जानकारों की कसौटी पर यह घटनाक्रम खरा नहीं उतर पा रहा है। जानकारों का कहना है कि पिछले 72 घंट समाजवादी कुनबे में चला सियासी घटनाक्रम नाटकीय और पूर्व प्रायोजित था।
- राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि ये झगड़ा प्रायोजित था।
- पिछले महिने सपा में हुए विवाद से सीएम अखिलेश की छवि को नुकसान पहुंचा था।
- पिछले दिनों जब अखिलेश ने जब गायत्री प्रजापति और शिवपाल यादव को कैबिनेट से निकाला था।
- तब मुलायम के कहने पर इन दोनों को वापस अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया था।
- जिसके बाद सियासी गलियारों से होते हुए जनता के बीच संदेश गया कि अखिलेश अपने फैसले खुद नहीं करते हैं।
- इसके बाद जनता के बीच अखिलेश की छवि को काफी नुकसान पहुंचा था।
- इस नुकसान की भरपाई के लिए 72 घंटे की नाटकीय स्क्रिप्ट तैयार की गई।
- इस नई स्क्रिप्ट में अखिलेश को मजबूत लीडर के तौर पर दिखाया गया, जो अपने फैसले खुद लेता है।
- अखिलेश को अपने फैसले लेने के लिए पिता और चाचा की सलाह की जरूरत नहीं है।
- इसकी एक बानगी मुलायम की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी दिखाई देती है।
- मुलायम ने अखिलेश की छवि को मजबूत बनना के लिए ही अखिलेश पर कोई सवाल खड़े नहीं किये।
- वहीं बर्खास्त मंत्रियों को वापस लेने पर मुलायम ने कहा कि ये सीएम का अधिकार है।
- इसके साथ ही मुलायम ने ये भी साफ किया कि टिकट बंटवारे में अखिलेश को अपनी बात रखने का पूरी मौका मिलेगा।
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सीएम बने रहेंगे अखिलेशः
- माना जा रहा है कि चुनाव नजदीक हैं लिहाजा मुलायम के पास ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं।
- मुलायम सिंह चाहते है कि जो स्थितियां हैं वो वहीं बनी रहें।
- इस प्रकरण के बाद अखिलेश की छवि मजबूत सीएम की तरह बनी है।
- यही कारण है कि मुलायम ने यह कहा कि दो महिन का वक्त बचा है अखिलेश सीएम बने रहेंगे।
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