राम मन्दिर-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर कोर्ट ने मध्यस्थता
का दिया आदेश, अगली सुनवाई 8 हफ्ते बाद
उच्चतम न्यायालय द्वारा अयोध्या मामले में मध्यस्थता के फैसले का उलमा ने स्वागत किया है। उलमा का कहना है कि कोर्ट का फैसला मुसलमानों को मंजूर है, लेकिन भाजपा नहीं चाहती कि यह मसला हल हो। अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के समाधान के लिए इसे मध्यस्थता के लिए सौंपने के बारे में अपना आदेश सुना दिया है। जिसमे मध्यस्थता के तहत लिया जायेगा फैसला। जिसकी अब अगली सुनवाई 8 हफ्ते बाद ली जाएगी।
- मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बुधवार को इस मुद्दे पर विभन्न पक्षों को सुना था।
- पीठ ने कहा था कि इस भूमि विवाद को मध्यस्थता के लिए सौंपने के बारे में आदेश दे दिया है।
- इस प्रकरण में निर्मोही अखाड़ा के अलावा अन्य हिन्दू संगठनों ने इस विवाद को मध्यस्थता के लिए भेजने के शीर्ष अदालत के सुझाव का विरोध किया था।
- जबकि मुस्लिम संगठनों ने इस विचार का समर्थन किया था।
मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की कोशिश
शीर्ष अदालत ने विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि तीन पक्षकारों निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बराबर-बराबर बांटने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने कीकोशिश की जाएगी।
रिपोर्ट- संजीत सिंह सनी
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