धर्म के नाम पर चुनाव में वोट माँगना चाहिए या नही और क्या धर्म के आधार वोट मांगने पर चुनाव रद्द किया जाना चाहिए मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर आदेश सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने SC में हिंदुत्व शब्द की दोबारा व्याख्या किये जाने कि अर्जी लगाई थी साथ ही उन्हों ने मांग थी कि 5 राज्यों में जल्द होने जा रहे चुनाव में राजनीतिक पार्टियों को ‘हिंदुत्व’ के नाम पर वोट मांगने से रोका जाए।
“उसका” शब्द पर उलझा हुआ है मामला
- असल में सुप्रीम कोर्ट को जनप्रतिनिधि अधिनियम के प्रावधान 123 के अनुभाग 3 की व्याख्या करनी है।
- इसमें ‘HIS’ यानी उसका शब्द का प्रयोग किया गया है कि ‘HIS’ religion (उसका धर्म) कहा गया है।
- अब SC को ये तय करना है कि His religion का मतलब क्या है?
- साथ ही कोर्ट को ये भी दखना होगा की इसे किस तौर पर देखा जाये।
- उम्मीदवार, एजेंट, या वोटर के धर्म के तौर पर?
- क्योंकि एक्ट के मुताबिक धर्म, जाति या भाषा के आधार पर वोट मांगना भ्रष्ट आचरण के तहत होगा।
- सुनवाई के दौरान SC ने कहा कि धर्म मानने का अधिकार संविधान देता है।
- लेकिन धर्म के आधार पर वोट मांगने का नहीं।
- लेकिन अगर कोई धर्म गुरु किसी उम्मीदवार के लिए वोट मांगता है तो क्या उसे गलत माना जाएगा या नहीं?
- हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फिर साफ किया कि हिंदुत्व धर्म है या जीवन शैली, इसे मुद्दे पर 7 जजों की संविधान पीठ विचार नहीं कर रही है।
- इस मामले में SC ने सीपीएम, बीजेपी प्रत्याशी, कांग्रेस प्रत्याशी तथा 3 राज्यों कि तरफ से पेश कि गई दलील सुनी।
- सभी दलीलों को सुनने के बाद SC ने फैसला लेकर इसे सुरक्षित कर लिया है।
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