कपिल काजल
बेंगलुरु, कर्नाटक:
कोविड-19महामारी के कारण देश भर में लॉकडाउनहै। इस क्रम में बेंगलुरु में भी सब कुछ बंद है। लोग अपने अपने घरों में हैं। इस वजह से सड़कों पर वाहनों की संख्या न के बराबर है।लॉकडाउन के कारण मजदूरों की भी छुट्टी हो गयी है। इसके चलते शहर में चल रहे निर्माण कार्य खुद ब खुद बंद हो गये है। अब इसका असर यह हुआ कि शहर की हवा की गुणवत्ता तेजी से सुधर रही है।
भारत के सिलिकॉन वैली में एक सामान्य दिन का मतलब होता था भारी ट्रैफिक जाम में फंसे रहना। लेकिन लॉकडाउन की वजह से लोगों को अपने अपने घरों में रहना पड़ रहा है। यहां तक कि शहर में जो भी निर्माण कार्य चल रहे थे, वह भी बंद हो गये हैं। सबकुछ बंद होने से हर कोई भले ही परेशान हो। लेकिन इस परेशानी का एक सुखद पहलु यह भी है कि शहर में वायु प्रदूषण का स्तर बहुत कम कर दिया है।
विशेषज्ञ और प्रदूषण को बताने वाले अलग अलग वेबसाइड यहां तक कि कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (केएसपीसीबी) भी बता रहाहै कि शहर का वायु प्रदूषण बहुत कम हो गया है। शहर में कोरोना संक्रमण का पहला मामला 10 मार्च को सामने आया था। जिसमें कई टेक कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा था। इसके बाद कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से ही काम करने के लिए बोलने पर मजबूर होना पड़ा।
पिछले साल और इस साल के हवा की गुणवत्ता के डाटा को यदि तुलना करे तो यह अंतर साफ नजर आ जाता है।
स्थान
मार्च 2019 में औसत 24 घंटे एक्यूआई
मार्च 2020 में औसत 24 घंटे एक्यूआई
हेब्बल
101
65
जयनगर
115
74
कविका
105
70
निमहांस
105
85
सिल्क बोर्ड
105
77
( केएसपीसीबी के डाटा के मुताबिक)
32 साल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर के श्रीकांत एस ने बताया कि पहला कोरोना संक्रमण का पहला मामला सामने आते ही कंपनी से घर से काम करने को बोल दिया था। पहले आफिस के लिए वह कार से आते जाते थे। अब कार का प्रयोग बिलकुल भी नहीं हो रहा है।लॉकडाउन की वजह से वैसे ही घर से निकल नहीं पाते।
एयर क्वालिटी डेटाबेस वेबसाइट ऐयरविजुअल के मुताबिक बेंगलुरु में दस मार्च के बाद हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ। कुछ जगह पर यह थोड़ा था, तो कुछ जगह पर यह संतोषजनक रहा है।एक्यूआई इंडेक्स वेल्यू के अनुसार 0-50 के बीच की सीमा को अच्छा माना जाता है, 51-100 को संतोषजनक, 101-200 को मध्यम और उससे आगे, इसे खराब माना जाता है । वायु में प्रदूषण की मात्रा जैसे जैसे बढ़ती जाती है यह स्वास्थ्य के लिए उतनी ही नुकसानदायक बन जाती है।
अब जबकि वायु प्रदूषण कम हो ही रहा था कि इसी बीच
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को 21 दिनों के राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी। इससे हवा की गुणवत्ता में तेजी से सुधार हुआ। दस मार्च को एक्यूआई इंडेक्स वैल्यू के अनुसार122 था, जो 11 मार्च को 95 पर आ गया, 31 मार्च को घटकर 76 तक पहुंच गय।
भारतीय विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर डॉ टीवी रामचंद्र ने बताया कि वाहनों से निकलने वाला धुआं कुल वायु प्रदूषण में लगभग 45प्रतिशत योगदान देता है। अब जाहिर है लॉकडाउन की वजह से वाहन बंद है तो , तो प्रदूषण भी कम होना तय है।
(एयरविजुअल .काम से ली जानकारी के मुताबिक)
इंदिरानगर इलाके में भोजन पहुंचाने वाले डिलीवरी एक्जीक्यूटिव 24 वर्षीय अरविंद एन ने बताया कि लॉकडाउन से पहले उसे यातायात जाम की समस्या का सामना पड़ता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। इस वजह से वह अब तेजी से अपना काम कर पाता है। उसने बताया कि उसके अनुमान के मुताबिक सड़कों से 60 से 70 प्रतिशत तक वाहन कम हो गये हैं।
केएसपीसीबी के एक्यूआई डाटा से पता चलता है कि जयनगर में एक्यूआई तीन मार्च को 161 तक पहुंच गया और 10. मार्च के बाद यह घटकर 60-80 रह गया था। मार्च के शुरूआत में
निमाहंस, कविका और सिल्क बोर्ड जैसे दूसरे इलाकों में भी एक्यूआई का स्तर 101 से 150 के बीच था। लेकिन दस मार्च के बाद यह तेजी से कम होता चला गया। दस मार्च के बाद एक्यूआइ 60 से 80 के बीच रह गया। 24 मार्च के बाद तो कई इलाकों में एक्यूआई कम होकर 50 से भी कम रह गया।
अंक हासिल किए
( केएसपीसीबी के डाटा के मुताबिक )
फाउंडेशन ऑफ इकोलॉजिकल सिक्योरिटी ऑफ इंडिया के गवर्निंग काउंसिल मेंबर डॉ येलपा रेड्डी ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से जो लॉकडाउन हो रहा है, यह बेंगलुरु और इसके निवासियों के लिए एक रियलिटी चेक की तरह है।इसें हम आसानी से समझ सकते हैं।कारे बंद है। शहर के माल बंद है। सब कुछ बंद है। कोई भी बाहर निकलने से डर रहा है। कंपनियों ने कर्मचारियों को घर से काम करने की इजाजत दे रखी है। ऐसे में खुद ब खुद ही वायु प्रदूषण कम हो रहा है।
(फोटो कपिल काजल द्वारा)
(कपिल काजल बेंगलुरु के स्वतंत्र पत्रकार है, वह 101 रिपोर्टर्स जो कि भारत में ग्रासरूट रिपोर्टर्स का नेटवर्क है, के सदस्य हैं )