एन एच 56 :- योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति की जमकर उड़ाई गई धज्जियाँ
एन एच 56 घोटाला :- योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति की जमकर उड़ाई गई धज्जियाँ , 3डी प्रकाशन के बाद हुए बैनामें से जुड़ा मामला
सुलतानपुर ।
सरकारें लाख दावें कर लें लेकिन भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का नाम नहीं लग रही हैं , जिसकी बानगी के तौर पर देखा जाए तो इस भ्रष्टाचार के मकड़जाल में अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक अछूते नजर नहीं आ रहे हैं , विदित रहे कि एन एच 56 भूमि अधिग्रहण के दौरान से ही विवादों के घेरे में रहा जिसमें कईयों को तो जेल यात्रा भी करनी पड़ी तो कई अधिकारियों को जांच की व्यापक आंच से भी गुजरना पड़ा । ताजा मामला पयागीपुर के ट्रांसपोर्ट नगर से जुड़ा बताया जा रहा है ।
शिकायतकर्ता अमृतांशु श्रीवास्तव के पत्र की मानें तो वह गाटा संख्या 12क के बैनामेदार हैं । अमृतांशु की मानें तो गीता पाठक एवं उनके पति द्वारा शासनादेश दिनांक 22 अक्टूबर 2013 3डी प्रकाशन गजट के बाद 12ग के बैनामा दर्ज खातेदार राजमणि आदि द्वारा सोची समझी रणनीति के आधार पर कूटरचना के तहत सरकार को छति पहुंचाते हुए मुआवजा लेने की नीयत से दिनांक 7 अप्रैल 2014 को गीता पाठक द्वारा बैनामा तहरीर कराने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से शिकायत की है ।
जिसकी जांच राजस्व एवं आपदा विभाग द्वारा की जानी हैं , जबकि कानूनविद आशुतोष सिंह की मानें तो 3डी प्रकाशन के बाद अधिग्रहित क्षेत्र का बैनामा शून्य घोषित माना जाएगा व क्रेता-विक्रेता समेत सम्बंधित उपनिबंधक कार्यालय के दोषियों की जांच के बाद विधिसंगत कार्यवाही अमल में लानी चाहिए ।
शिकायतकर्ता अमृतांशु की मानें तो उक्त लोगों के द्वारा प्रतिफल मुआवजे को प्राप्त किया जा चुका है जोकि अपराध की श्रेणी में है ।
घोटाला जांच की जद में आएगा सदर रजिस्ट्री कार्यालय
एन एच 56 के 3डी प्रकाशन के बाद बैनामा लेने व प्रतिकर मूल्य निर्धारण के मुवावजा लेने के गड़बड़ झाला के सामने आते ही प्रशासन में हड़कम्प मचा हुआ है ।
भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 की धारा 3डी के अन्तर्गत भू-अर्जन का प्रस्ताव भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा दिनांक 22 अक्टूबर 2013 को प्रकाशन के बाद 7 अप्रैल 2014 को नगरी क्षेत्र के पयागीपुर में बैनामा व खारिज दाखिल करते हुए मुआवजा देने के मामले ने रजिस्ट्रार समेत सक्षम प्राधिकारी/एन एच 56 / अपर उप जिलाधिकारी सुलतानपुर के भूमिका पर भी सवाल खड़े करते नजर आ रहे हैं , कि आखिरकार 3डी प्रकाशन के बाद अधिग्रहीत भू खण्ड पर भारत सरकार का स्वामित्व होता है तो ऐसे में बैनामा होना प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा गड़बड़ झाले की तरफ इशारा कर रहा है ।