यूपीओआरजी की खबर पर प्रशासन की लगी मुहर ।
एन एच 56 में स्कैम :- सरकार की जीरो टॉलरेंस स्कीम हुई फेल , 3 डी प्रकाशन के बाद हुआ बैनामा , राजस्व अधिकारियों की मिली भगत से बैनामा हुआ खारिज दाखिल
सुलतानपुर । केन्द्र की नरेन्द्र मोदी व राज्य के योगी सरकार के जीरो टॉलरेंस नीति को सुलतानपुर जनपद के सदर तहसील के मातहतों द्वारा जमकर जनाज़ा निकाला गया और मामले के प्रकाश में आने के बाद समूचे अमले में हड़कम्प मच गया मामले के प्रकाश में आते ही जिलाधिकारी रवीश गुप्ता ने मामलें पर जांच के आदेश देते हुए सक्षम प्राधिकारी एन एच 56 / उपजिलाधिकारी बल्दीराय से रिपोर्ट तलब कर ली । जांच अधिकारी द्वारा जांच में शिकायतकर्ता अमृतांशु श्रीवास्तव द्वारा लगाए गए आरोप सत्य पाए गए , जिसकी विस्तृत जांच रिपोर्ट सक्षम प्राधिकारी एन एच 56 द्वारा जिलाधिकारी रवीश गुप्ता को प्रेषित की जा चुकी है ।
एन एच 56 स्कैम का यह है पूरा मामला
शिकायतकर्ता अमृतांशु श्रीवास्तव के पत्र की मानें तो वह गाटा संख्या 12क के बैनामेदार हैं । अमृतांशु की मानें तो गीता पाठक एवं उनके पति द्वारा शासनादेश दिनांक 22 अक्टूबर 2013 3डी प्रकाशन गजट के बाद 12ग के बैनामा दर्ज खातेदार राजमणि आदि द्वारा सोची समझी रणनीति के आधार पर कूटरचना के तहत सरकार को छति पहुंचाते हुए मुआवजा लेने की नीयत से दिनांक 7 अप्रैल 2014 को गीता पाठक द्वारा बैनामा तहरीर कराने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री व जिलाधिकारी से शिकायत की है । जिसकी जांच सक्षम प्राधिकारी एन एच 56 / उपजिलाधिकारी बल्दीराय द्वारा की जा रही थी , जबकि कानूनविद आशुतोष सिंह की मानें तो 3डी प्रकाशन के बाद अधिग्रहित क्षेत्र का बैनामा शून्य घोषित माना जाएगा व क्रेता-विक्रेता समेत सम्बंधित उपनिबंधक कार्यालय के दोषियों की जांच के बाद विधिसंगत कार्यवाही अमल में लानी चाहिए । लेकिन राजस्व अधिकारियों समेत कर्मचारियों ने उक्त बैनामें को तथ्यों को छिपा कर खारिज दाखिल कर दिया । शिकायतकर्ता अमृतांशु की मानें तो उक्त लोगों के द्वारा स्ट्रैकचर मुआवजे को प्राप्त किया जा चुका है जोकि अपराध की श्रेणी में है ।
राजस्व महकमें समेत पीडब्ल्यूडी के कर्मचारियों पर जल्द ही गिर सकती है गाज
नगर कोतवाली थाना क्षेत्र के पयागीपुर स्थित ट्रांसपोर्ट नगर में भारत सरकार द्वारा एन एच 56 में अधिग्रहित भू-खंड के बैनामें के बाद हुए खारिज दाखिल ने राजस्व महकमें की कलई खोलकर रख दी , कानूनविदों की मानें तो भारत सरकार के राजपत्र के जारी होने के बाद अधिग्रहित भूखण्ड का किसी भी प्रकार से क्रय-विक्रय नहीं किया जा सकता है , लेकिन यहां पर तथ्यों को छिपाते हुए मातहतों द्वारा मौजूदा लेखपाल से लेकर तहसीलदार सदर तक की रिपोर्ट के आधार पर बैनामें को खारिज दाखिल कर दिया गया । जबकि विधि की मानें तो 3 डी प्रकाशन के बाद बैनाम शून्य मानें जाने का है प्राविधान ।