बुलंदशहर : डॉक्टर मरीज के पेट में भूला कैंची, परिवार को 8 साल बाद मिला इंसाफ
ऑपरेशन के दौरान मरीज के पेट में कैंची भूल जाना यह कहानी फिल्मी जरूर है, लेकिन यूपी के बुलंदशहर में डॉक्टर दम्पति ने ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है,जहां एक डॉक्टर दम्पति यूट्रस के ऑपरेशन के दौरान मरीज के पेट में कैंची भूल गया और मरीज की जान चली गई। बेहद संजीदा इस मामले की सुनवाई करते हुए जिला उपभोक्ता फोरम ने मृतक मरीज के परिजनों को उपचार में खर्च की रकम को ब्याज समेत वापस लौटने का फैसला सुनाया है। साथ ही डीएम सीएमओ को दोषी डॉक्टर दम्पति की प्रैक्टिस रोकने के लिए मैडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को लिखने का आदेश सुनाया है।
दरअसल नगर क्षेत्र निवासी प्रमिला मित्तल और डॉ जितेंद्र मित्तल दंपत्ति के हॉस्पिटल में घोर लापरवाही का मामला सामने आया हैं। अनूपशहर दिल्ली दरवाजा निवासी अवधेश कुमार की पत्नी गीता नवंबर 2012 में पेट दर्द की शिकायत होने पर दंपत्ति डॉक्टर के अस्पताल पहुंची। दंपत्ति द्वारा महिला गीता का पैथोलॉजी में टेस्ट कराने पर दंपत्ति डॉक्टरों ने गीता का ऑपरेशन करने की सलाह देते हुए ऑपरेशन कर दिया। 6 दिन बाद गीता को डिस्चार्ज कर दिया गया। इतना ही नहीं गीता के ऑपरेशन में लिए गए 30,000 रुपये व दवाइयों में दिए गए 20,000 रुपये की कोई रसीद भी नहीं दी गई। ऑपरेशन के बाद भी महिला के पेट में दर्द बना रहा। दर्द से राहत नहीं मिलने पर जनवरी 2013 में गीता को दिल्ली सेंट स्टीफन अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां एक्स-रे में खुलासा हुआ कि गीता के पेट में कैंची नुमायंत्र है। जिसे ऑपरेशन कर निकालना पड़ेगा, सेंट स्टीफन अस्पताल द्वारा गीता का ऑपरेशन कर कैची निकाली गई। मगर कैची से इंफेक्शन के कारण गीता को अनेक प्रकार की परेशानी होती रही और जून 2020 को गीता की मौत हो गई।
पेट में कैंची से इन्फेक्शन से हुई गीता की मौत के बाद गीता के पति अवधेश कुमार ने न्यायालय में जो परिवाद दायर किया उस पर डॉक्टर प्रमिला मित्तल और जितेंद्र मित्तल ने उपभोक्ता फोरम बुलंदशहर के सामने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बुलंदशहर जिला चिकित्सालय व दिल्ली पुलिस और सेंट स्टीफन अस्पताल उनके खिलाफ साजिश कर फंसा रहा हैं। दोनों डॉक्टर दंपत्ति पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद दंपत्ति को दोषी मानते हुए डॉक्टर प्रमिला मित्तल व जितेंद्र मित्तल को पूर्ण रूप से लापरवाही एवं असावधानी बरतने का दोषी माना गया हैं।