प्रशांत किशोर कांग्रेस के लिए पंजाब और यूपी में रणनीति बना रहे हैं. राहुल गाँधी की खाट सभा का आईडिया भी प्रशांत किशोर का ही था. यूपी में गठबंधन की उम्मीद में प्रशांत किशोर समाजवादी पार्टी के मुखिया से भी मिल चुके हैं. लेकिन अखिलेश यादव का प्रशांत किशोर से ना मिलना इस गठबंधन की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है.
कांग्रेस प्रशांत किशोर की रणनीति से खुश नजर नही आ रही है. गठबंधन को लेकर पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी इस पर ऐतराज व्यक्त किया है. रीता बहुगुणा जोशी ने भी पार्टी छोड़ने के बाद प्रशांत किशोर पर हमला बोला था. कई कांग्रेस नेताओं का मानना है कि प्रशांत किशोर पार्टी के अन्य नेताओं की बातों को नही सुनते हैं. उनका रवैया पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के प्रति अच्छा नही है.
पीके की बातों को लेकर गंभीर नही कांग्रेस:
- इसके इतर प्रशांत किशोर का मानना है कि कांग्रेस उनकी बातों पर अमल नहीं कर रही है.
- कांग्रेस के नेता उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लेते हैं.
- प्रशांत किशोर मानते हैं कि नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी के साथ काम करने में उन्हें सहज लगा था.
- ये दोनों नेता प्रशांत किशोर की बातों पर अमल करते थे.
- जबकि कांग्रेस में ऐसा नही हो पा रहा है.
कांग्रेस पीके से छुड़ाना चाहती है पीछा:
पंजाब और यूपी में कांग्रेस की टीम के साथ सामंजस्य ना बिठा पाने की कीमत पीके को चुकानी पड़ सकती है. कांग्रेस की पंजाब टीम भी पीके की रणनीति से सहमत नही है.
- पीके की भारी भरकम फीस भी कांग्रेस के लिए चिंता का सबब बनती जा रही है.
- राज बब्बर भी पीके से नाराज हैं.
- ऐसे में कांग्रेस अब पीके को लेकर बड़ा फैसला कर सकती है.
- दिल्ली में होने वाली पार्टी मीटिंग में पीके के भविष्य पर भी फैसला होगा.