उत्तर प्रदेश में इन दिनों डेंगू, चिकनगुनिया का प्रकोप बुरी तरह छाया हुआ है। प्रदेश का कोई भी जिला इससे अछूता नहीं है। चारो तरफ इन रोगों का प्रकोप छाया हुआ है। सिर्फ डेंगू से अब तक उत्तर प्रदेश में सैंकड़ो मौते हो चुकी है। जिसके बाद अब जिला प्रशासन होश में आ गया है और इससे निपटने के लिए उपाय करना शुरू कर दिए है।
हाईकोर्ट की फटकार के बाद जागा प्रशासन :
- बीते दिनों हाईकोर्ट में प्रमुख सचिव राहुल भटनागर को डेंगू पर रोक न लगा पाने के कारण कड़ी फटकार लगाई गयी थी।
- इसके बाद ही शासन ने होश में आते ही इसके सम्बंधित उपाय करना शुरू कर दिया है।
- 400 मॉस्किटो ट्रैपर और 500 कर्मचारियों को इस काम में लगाया गया है जिससे डेंगू मच्छरों को पकड़ा जाएगा।
- एक डेंगू ट्रीटमेंट प्लान तैयार किया गया है जिससे मच्छरों की संख्या ज्यादा है वहां 400 मॉस्किटो ट्रैपर लगाए जाएंगे।
- इन मॉस्किटो ट्रैपर से पकड़े गए मच्छर लैब में लाए जाएंगे जहां मच्छर और उसके वायरस की जांच की जाएगी।
- मच्छर में वायरस होने की पुष्टि होते ही पूरे इलाके में और घरों के भीतर फॉगिंग और एंटी लार्वा का छिड़काव किया जाएगा।
- पीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के हेड प्रो़ टीएन ढ़ोल ने दो साल की रिसर्च के बाद तैयार किया गया अपना प्लान प्रमुख सचिव अरुण सिन्हा को बताया।
- इस दौरान हाईकोर्ट के आदेश पर बनी कमिटी की इस बैठक में केजीएमयू और लोहिया इंस्टीट्यूट समेत कुछ रिसर्च सेंटरों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
- इसमें प्रमुख सचिव ने प्रो़ टीएन ढ़ोल के प्लान की कॉपी भी उनसे मांगी है।
- मुमकिन है कि प्रदेश सरकार जल्द ही इसके अनुसार एक्शन प्लान तैयार कर सकती है।
ट्रैपर के काम करने का तरीका :
- इस मच्छर पकड़ने वाला ट्रैपर से कई अल्ट्रा वॉयलेट लाइट निकलती हैं।
- डेंगू मच्छर आकर्षित होकर इसमें गिर जाते हैं और फिर भीतर जहरीला व चिपचिपे लेप वाला कागज लगा है।
- इसके संपर्क में आते ही मच्छर या कीट पतंगे मर जाते हैं।
- ट्रैपर में चार स्तर पर बड़ी जालियां लगी होती हैं।
- बड़े छेद वाली जाली सबसे ऊपर लगी है और सबसे पतली वाली जाली सबसे नीचे है।
- इस तरह ट्रैपर में झींगुर या बड़े कीट मरने के बाद ऊपर की जालियों में फसे रहते हैं
- इसके अलावा डेंगू मच्छर सबसे नीचे वाली जालियों में आकर गिर जाते हैं।
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