2022 विधानसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों ने अपने जातीय समीकरण साधने शुरू कर दिए हैं । उत्तर प्रदेश की सत्ता का रास्ता ओबीसी वोट बैंक [ OBC Vote Bank ] पर निर्भर करता है ।
उत्तर प्रदेश की सत्ता के लिए ओबीसी वोट बैंक महत्वपूर्ण
यूपी की सत्ता का रास्ता ओबीसी वोट बैंक पर निर्भर करता है । इस वोट बैंक के बगैर कोई भी राजनीतिक पार्टी उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार नहीं बना सकता है ।
जाने उत्तर प्रदेश के ४०३ विधान सभा के जातिगत समीकरण
UP में अनुमान की हिसाब से निम्नलिखित गैर-यादव ओबीसी जातियों हैं ।
कुर्मी | 7.5% | लोध | 4.9% |
पाल / गडरिया | 4.4% | मल्लाह / निषाद | 4.3% |
तेली / शाहु | 4% | जाट | 3.6% |
प्रजापति / कुम्हार | 3.4%, | कश्यप / कहार | 3.3% |
कुशवाहा / शाक्य | 3.2% | नाई | 3% |
राजभर | 2.4% | गुर्जर | 2.12% |
राजभर [ OBC Vote Bank ]
पूर्वांचल ,उत्तर प्रदेश के कई जिलों में राजभर समुदाय का वोट राजनीतिक समीकरण बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखता है । यूपी में राजभर समुदाय की हिस्सेदारी करीब 3 फीसदी है ।
पूर्वांचल के जिलों में राजभर मतदाताओं की संख्या 12 से 22 फीसदी है ।
वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, मऊ, बलिया, आजमगढ़ और देवरिया जिलों की सीटों पर 20 फीसद राजभर आबादी का ही माना जाता है। जो यूपी की चार दर्जन विधानसभा सीटों पर असर रखते हैं ।
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पूर्वांचल में राजभर मतदाता अहम है
संतकबीरनगर, महराजगंज, कुशीनगर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर और श्रावस्ती में 10 प्रतिशत राजभर समाज की आबादी है। यूपी की चार दर्जन विधानसभा सीटों पर असर रखते हैं ।
ओम प्रकाश राजभर का दावा है की उन्हें निषाद, माली, केवट, बिंद, बंजारा, पाल, प्रजापति, कुम्हार, नाई, अहिरवार, भर, शाक्य, सैनी, अर्कवंशी अर्क, आरक, नोनिया, तेली, तमेरा, बार, वियार, बारी, लोहार, चौहान, विरार, वनवासी, गड़रिया, धीमर, धोबी, कोइरी, डोम, पतझर, गोंड और वाल्मीकि का समर्थन प्राप्त है।
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कुर्मी
कुर्मी समुदाय ओबीसी [ OBC Vote Bank ] में सबसे वर्ग है । उत्तर प्रदेश के सोलह जिलों में कुर्मी और पटेल मतदाता 6 से 12 फीसदी है । इलाहाबाद, सीतापुर, सोनभद्र, बरेली, उन्नाव, बहराइच, श्रावस्ती, मिर्जापुर, जालौन, फतेहपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और बस्ती जिले में निर्णायक भूमिका में आ सकते है ।
मौर्या – सैनी – कुशवाहा
कुशवाहा, मौर्या , शाक्य और सैनी जाति के 7 से 10 फीसदी मतदाता है । फर्रुखाबाद, इटावा, औरैया, बदायूं, कन्नौज, कानपुर देहात, फिरोजाबाद, एटा, मिर्जापुर, प्रयागराज, मैनपुरी, हरदोई, जालौन, झांसी, ललितपुर और हमीरपुर जिलों में इन जातिओं का अच्छा वोट बैंक है। मुरादाबाद ,सहारनपुर और मुजफ्फरनगर में सैनी समाज निर्णायक भूमिका में आ सकते है ।
मल्लाह – निषाद
मल्लाह समुदाय 6 फीसदी है । उत्तर प्रदेश में निषाद, कश्यप ,केवल और बिंद उपजातियों से नाम से जानी जाती है । गाजीपुर, बलिया, वाराणसी, गोरखपुर, भदोही, प्रयागराज, फतेहपुर, चंदौली, मिर्जापुर, अयोध्या, जौनपुर, औरैया जिले में अच्छा वोट बैंक है।
लोध
यूपी में अलीगढ़, उन्नाव, ज्योतिबा फुले नगर, आगरा, मैनपुरी, लखीमपुर, हरदोई, इटावा, कानपुर, झांसी, हमीरपुर, पीलीभीत, रामपुर, बुलंदशहर, फर्रुखाबाद, महामायानगर, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर, औरैया, जालौन, ललितपुर, महोबा जिलों में लोध मतदाता 5 से 10 फीसदी तक है । चुनाव में इनकी अहम् भूमिका रहती है ।
नोनिया – चौहान
आजमगढ़, महराजगंज, मऊ, गाजीपुर,चंदौली, बलिया, देवरिया, कुशीनगर, बहराइच और जौनपुर के विधानसभा क्षेत्रों में इनकी संख्या अच्छी खासी है।
पाल – गड़रिया – बघेल
उत्तर प्रदेश की ओबीसी समुदाय में पाल समाज अतिपिछड़ी जातियों में आता है । जिसे गड़रिया और बघेल जातियों के नाम से जाना जाता है । यह समुदाय बदायूं से लेकर बरेली, आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, हाथरस जैसे जिलों में काफी महत्व रखते हैं । फतेहपुर, रायबरेली, प्रतापगढ़ और बुंदेलखड के जिलों में 5 से 10 हजार की संख्या में रहते हैं ।
लोहार – कुम्हार
लोहार जाति के लोग खुद को विश्वकर्मा और शर्मा जाति लिखते हैं । कुम्हार समुदाय के लोग खुद को प्रजापति लिखते है ।अवध और पूर्वांचल के इलाकों में दोनों समुदायकिसी भी दल का समीकरण बनाने या बिगाड़ने की क्षमता रखते है ।
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