सीएम अखिलेश यादव ने अभी हाल ही में पुलिस व्यवस्था सुधारने के लिए डॉयल ‘यूपी 100’ का उद्घाटन किया। लेकिन यह भी फुस्स साबित हो रहा है। शहर में गहमा-गहमी का माहौल है कि पुलिस सुधर रही है या मजाक हो रहा है। यहां घटना पर बीस मिनट में पहुंचने का दावा करने वाली पुलिस घंटो नहीं पहुंचती है। मंगलवार को हुई एक घटना ने फिर से ‘यूपी 100’ की पोल खोल दी।

यह है मामला

  • हुआ यूं कि गुडंबा के यूनिटी सिटी निवासी शशिकांत दुबे टेढ़ी पुलिया स्थित ‘बैंक ऑफ बड़ौदा’ में पैसा निकालने गए थे।
  • लगभग 12 बजे जब वह बैंक से निकले तो उनकी काले रंग की स्प्लेंडर नंबर (यूपी 77सीसी 9853) गायब थी।
  • गाड़ी न दिखने पर उन्होंने 100 नंबर सूचना की लेकिन पुलिस नहीं आई।
  • इसके बाद पीड़ित ने तीन बार ‘डॉयल 100’ नंबर पर फोन किया लगभग एक घंटे तक पुलिस मौके पर नहीं पहुंची।
  • हालातों का हारा पीड़ित थाने पहुंचा तो अपनी साख बचाने को एक दारोगा और सिपाही पीड़ित के साथ घटनास्थल निकालकर जांच करने चले गए।

दो लूटों में भी खुली थी पोल

  • ‘यूपी100’ का मंगलवार को यह पहला मामला नहीं है जब वह फेल हुई है बल्कि उद्घाटन के बाद से कई मामलो में इस सेवा ने पुलिस छवि को शर्मसार किया है।
  • पिछले रविवार को अलीगंज में छात्र आशुतोष ओझा से नगदी लूटी गई तो पुलिस तीन घंटो तक मौके पर नहीं पहुंची थी।
  • इस घटना के बाद सोमवार को विकासनगर में शशि अग्रवाल नामक महिला की चेन लुटने पर भी पुलिस को मौके पर पहुंचने में आधे घंटे से ज्यादा लग गया।
  • इसके अलावा मंगलवार को ही एक व्यक्ति ने नशेड़ियों के सड़क पर शराब पीकर हंगामे की सूचना दी तो कॉल रिसीव करने वाली महिला ने कहा कि कम्प्यूटर खराब है।
  • थोड़ी देर में हम मैसेज करके पुलिस भेजते हैं लेकिन पुलिस मौके पर झांकने तक नहीं पहुंची।

अनुभवहीन कर्मचारी बिगाड़ रहे छवि

  • कुछ पुलिस जानकारों और विशेषज्ञों के सर्वे में यह साफ हुआ है कि ‘यूपी 100’ के दावे फेल होने के पीछे कमान अनुभवहीन लोगों को सौंपना कारण सामने आया है।
  • पुलिस जानकारों की माने तो परियोजना का उद्घाटन तो हो गया लेकिन इस प्रणाली की कमान अनुभवहीन लोगों को सौंप दी गई।
  • जिसके कारण ‘यूपी 100’ की छवि लगातार धूमिल हो रही है।
  • विकासनगर में जब सोमवार को महिला की चेन लूटीं तो ‘यूपी 100’ नंबर (यूपी 32डीजी 0492) में बैठे कर्मियों ने बताया कि हमारा सिस्टम ही नहीं काम कर रहा है।
  • जबकि जानकारों की माने तो उन्हें सिस्टम एक्टिव करने का तरीका ही नहीं पता था।
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