उत्तर प्रदेश सरकार ने झांसी को हर्बल एग्रीकल्चर का हब बनाने का फैसला किया
उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में पानी की कमी एक प्रमुख समस्या है। इससे फसलों की उत्पादन क्षमता प्रभावित होती है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति खराब होती है। इस समस्या को दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने झांसी को हर्बल एग्रीकल्चर का हब बनाने का फैसला किया है।
इस योजना के तहत झांसी के 19 गांवों में कुल 3800 एकड़ जमीन पर हर्बल पौधों की खेती की जाएगी। किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए उद्यान विभाग ने यह कवायद शुरू कर दी है। यहां किसानों द्वारा जो उपज पैदा की जाएगी वह सीधे आयुर्वेदिक कंपनियों द्वारा खरीदी जाएगी।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले यहां तुलसी की खेती की गई थी जो काफी सफल रही। अब यहां तुलसी समेत अश्वगंधा, सतावर, लेमनग्रास, केमामाइन का उत्पादन किया जाएगा। आज के समय में आयुर्वेदिक कंपनियों में अश्वगंधा और लेमनग्रास जैसे हर्बल पौधों की काफी मांग है। कंपनियां उनके लिए मुंह मांगा पैसा खर्च करने को तैयार हैं।
इस पूरी परियोजना के लिए उद्यान विभाग ने अपना प्रस्ताव तैयार करके काम शुरू कर दिया है। उद्यान विभाग के उपनिदेशक विनय कुमार यादव ने बताया कि पूर्व में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर तुलसी उत्पादन का काम शुरू किया गया था। यह काफी सफल रहा है। इसको ध्यान में रखते हुए अब अन्य हर्बल पौधों की खेती को भी बढ़ावा देने की योजना है। इससे किसानों को सीधा फायदा मिलेगा और वह पारंपरिक खेती के अलावा भी चीजों पर ध्यान दे सकते हैं।
यह योजना बुंदेलखंड के किसानों के लिए काफी फायदेमंद हो सकती है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और उन्हें नई आय का स्रोत मिलेगा। इसके अलावा, यह योजना बुंदेलखंड के पानी की समस्या को भी कम करने में मदद कर सकती है। हर्बल पौधों की खेती के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है।