अगले साल के आरम्भ में पंजाब में चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 9 दिनों का पंजाब दौरा किया था। इस दौरे के दौरान अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में आम आदमी पार्टी का ‘दलित घोषणापत्र’ भी जारी किया था । यही घोषणा पत्र अब केजरीवाल के लिए मुसीबत बन गया है। बता दें कि इस घोषणा पत्र में अरविन्द केजरीवाल ने पंजाब में दलित को उप मुख्यमंत्री बनाने का वादा करके मुसीबत मोल ले ली है। चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के दलित घोषणापत्र की 2 कॉपियां मंगवाई है।
निर्वाचन आयोग ने क्यों माँगा दलित घोषणापत्र ?
- बता दें कि 1 नवंबर को निर्वाचन आयोग ने मतदाताओं को लुभाने और वोट पाने के लिए चुनाव में झूठे,फर्जी और बड़े बड़े वायदे करने वाली राजनीतिक पार्टियों पर रोक लगाने के लिए कुछ नियम बनाये थे।
- जिसके अंतर्गत सभी राजनीतिक पार्टियों को मतदाताओं से वायदा करने से पहले।
- इन वायदों का एक एफिडेविट बना कर चुनाव आयोग को सौपना था ।
- ऐसा ना करने कि स्थिति में चुनाव आयोग पार्टियों से उनका चुनाव चिन्ह वापस ले सकता है।
- इसी नियम के अंतर्गत आयोग ने आप पार्टी के दलित घोषणापत्र की 2 कॉपियां मंगवाई है।
- बता दें कि केजरीवाल ने जालंधर जिले के गोराया में अलग से दलित घोषणा पत्र जारी किया था।
- जिसमें उन्होंने दलित समुदाय से उप-मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया था।
- यही नही केजरीवाल ने ये भी वादा किया था की पंजाब में पिछले 10 सालों में दलितों के खिलाफ हुए अत्याचार की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का भी गठन किया जायेगा।
- चुनाव आयोग को दलित घोषणापत्र में किये गए कुछ वादों पर एतराज़ है।
- हालांकि चुनाव आयोग को किस वादे पर एतराज है, ये आयोग ने भी तक ज़ाहिर नही किया है।
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