गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट का जातीय समीकरण 2024 के चुनावों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस सीट पर विभिन्न जातियों का मिश्रण है, जो चुनाव परिणामों को प्रभावित करता है।
– सवर्ण (ब्राह्मण, ठाकुर, बनिया): गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पर सवर्ण वोटरों की बड़ी संख्या है, जिनमें ब्राह्मण, ठाकुर और बनिया प्रमुख हैं। यह समुदाय पारंपरिक रूप से बीजेपी का समर्थन करता रहा है।
– पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जातीय समूह (गुर्जर, जाट):इस सीट पर गुर्जर और जाट समुदाय भी एक मजबूत उपस्थिति रखते हैं। ये समुदाय भी अक्सर बीजेपी की तरफ झुकाव रखते हैं, लेकिन सपा और रालोद (राष्ट्रवादी लोक दल) भी इनके समर्थन के लिए प्रयासरत रहते हैं।
– दलित: दलित समुदाय भी इस सीट पर एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है। ये वोटर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और बीजेपी के बीच विभाजित होते रहे हैं।
– मुस्लिम: मुस्लिम मतदाता भी गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पर एक प्रभावशाली वोट बैंक हैं। ये मतदाता आमतौर पर सपा या कांग्रेस को समर्थन देते हैं।
– पंजाबी और सिख समुदाय: गाजियाबाद में पंजाबी और सिख समुदाय भी अच्छी संख्या में हैं, जो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए अहम होते हैं।
इन जातीय समूहों के समीकरण और गठबंधनों पर आधारित, गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पर किसी भी पार्टी की जीत तय होगी। पार्टी को इन जातियों के बीच संतुलन बनाकर चलना होगा ताकि वे अधिक से अधिक वोट हासिल कर सकें।
गाजियाबाद शहर विधानसभा का जातीय समीकरण
गाजियाबाद जिले की गाजियाबाद विधानसभा सीट पर लगभग 4 लाख 20 हजार मतदाता हैं, जिनमें विभिन्न जातियों का प्रतिनिधित्व है। सभी राजनीतिक दलों के लिए यह सीट काफी महत्वपूर्ण है, और चुनाव परिणाम जातिगत समीकरणों पर काफी हद तक निर्भर करते हैं। यहां के जातीय समीकरण इस प्रकार हैं:
– दलित: 80 हजार
– ब्राह्मण: 55 हजार
– ओबीसी: 45 हजार
– वैश्य: 35 हजार
– मुस्लिम: 35 हजार
– ठाकुर (क्षत्रिय): 25 हजार
– पंजाबी: 14 हजार
– यादव: 12 हजार
– जाट: 10 हजार
– सुनार: 8 हजार
– गुर्जर: 7 हजार
– कायस्थ: 7 हजार
– त्यागी: 5 हजार
– ईसाई: 2 हजार
इन जातियों के मतदाताओं का प्रभावी संयोजन चुनाव के परिणाम को निर्धारित करेगा। बीजेपी, सपा, कांग्रेस और बसपा जैसी प्रमुख पार्टियां इन समीकरणों के आधार पर अपनी रणनीतियों को तैयार करेंगी ताकि अधिक से अधिक वोट हासिल कर सकें।