रायबरेली की लाइफलाइन ITI अस्तित्व के संकट में: राहुल गांधी

रायबरेली में स्थित इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज (ITI), (Raebareli ITI) जिसे शहर और जिले की लाइफलाइन माना जाता है, अपने अस्तित्व के सबसे बड़े संकट से गुजर रही है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा पूछे गए सवाल से ITI की दयनीय स्थिति उजागर हुई है। कभी हजारों करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली यह फैक्ट्री अब केवल 20 करोड़ रुपये के व्यापार में सिमट कर रह गई है।

ITI: एक गौरवशाली शुरुआत से आज के संकट तक

1973 में स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में रायबरेली में ITI (Raebareli ITI) की स्थापना की थी। शुरुआत में यहां बेसिक फोन एक्सचेंज के लिए क्रॉस बार यूनिट का उत्पादन होता था। समय के साथ, फैक्ट्री ने सी-डॉट और रेलवे के लिए ओएफसी केबल जैसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का उत्पादन शुरू किया। ITI का विस्तार देशभर में हुआ, जिसमें बेंगलुरु, पालघाट, नैनी (प्रयागराज), मनकापुर (गोंडा), और जम्मू जैसी जगहों पर इकाइयां स्थापित हुईं।

हालांकि, वर्तमान में स्थिति इतनी खराब हो गई है कि रायबरेली इकाई में स्थाई कर्मचारियों की संख्या केवल 173 रह गई है। कुल मिलाकर यहां 322 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें संविदा और अनौपचारिक कर्मी भी शामिल हैं। एक समय, इस फैक्ट्री में लगभग 7000 स्थाई कर्मचारी काम करते थे।

वित्तीय संकट और सरकारी उदासीनता

राहुल गांधी के सवालों पर सरकार ने माना कि ITI को अब तक केंद्र सरकार से पर्याप्त ऑर्डर और रिवाइवल पैकेज नहीं मिला है। 4456 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता में से 4157 करोड़ रुपये रिलीज किए गए, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और बकाया चुकाने में खर्च हो गया। रायबरेली इकाई को अभी भी 300 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मिलने का इंतजार है।

उत्पादन क्षमता का गिरता स्तर

कभी हजारों करोड़ के टर्नओवर वाली यह इकाई अब केवल 20 करोड़ रुपये का व्यापार कर पा रही है। यह गिरावट इस बात का संकेत है कि फैक्ट्री नई बाजार मांगों के हिसाब से खुद को अपडेट करने में नाकाम रही। यूपीए शासनकाल में सोनिया गांधी के प्रयासों से 2009-10 में 8000 करोड़ रुपये का रिवाइवल पैकेज दिया गया था। हालांकि, उस धनराशि का अधिकांश हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और बकाया में चला गया, जिससे फैक्ट्री तकनीकी उन्नयन के लिए निवेश नहीं कर पाई।

ITI की बदहाली के कारण

  1. सरकारी उपेक्षा: केंद्र सरकार से मिलने वाले ऑर्डर और वित्तीय सहायता में कमी।
  2. तकनीकी अपडेट की कमी: बदलते तकनीकी और बाजार की मांगों के अनुरूप उत्पादन न कर पाना।
  3. कर्मचारी संख्या में भारी कमी: वर्तमान में केवल 3% स्थाई कर्मचारी बचे हैं।
  4. वित्तीय अनियमितताएं: उपलब्ध वित्तीय सहायता का अधिकतर हिस्सा वेतन और बकाया में खर्च हो गया।

राहुल गांधी की चिंता और सुझाव

लोकसभा में राहुल गांधी ने सवाल उठाते हुए पूछा कि कर्मचारियों को समय से वेतन दिलाने और फैक्ट्री को पुनर्जीवित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। सरकार ने जवाब दिया कि आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।

रायबरेली की ITI, (Raebareli ITI) जो कभी जिले की आर्थिक और औद्योगिक रीढ़ थी, आज अपने अस्तित्व के संकट का सामना कर रही है। यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए, तो यह इकाई पूरी तरह बंद होने की कगार पर पहुंच सकती है। तकनीकी उन्नयन, वित्तीय सहायता, और सरकारी रुचि के बिना इस फैक्ट्री को पुनर्जीवित करना असंभव होगा। ITI की दुर्दशा न केवल रायबरेली बल्कि पूरे देश के औद्योगिक भविष्य के लिए एक चेतावनी है।

Report:- Shiva Maurya

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए  Twitter पर फॉलो करें

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें