देश की राजधानी नई दिल्ली से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं, दुनिया के दो सबसे मजबूत गाँव जिनके नाम हैं, ‘असोला और फतेहपुर बेरी’। कई लोग इन गांवों को ‘बाउंसर्स की बस्ती’ भी कहते हैं। यहाँ का हर बच्चा पहलवान है। इन गांवों के पुरुष दिल्ली के नाईट क्लब्स में बाउंसर्स का काम करते हैं। दिल्ली की नाईट लाइफ इन गांवों के लिए जीवन यापन का साधन है।
बचपन से अखाड़ों में आमद:
दिल्ली के इन दो गांवों असोला-फतेहपुर बेरी में हर दूसरा युवक बाउंसर है या ट्रेनिंग ले रहा है। असोला-फ़तेहपुर गांवों के लगभग हर घर से एक लड़का बाउंसर बनने की ट्रेनिंग ले रहा है। असोला गाँव के एक अखाड़े के मुख्य ट्रेनर विजय पहलवान का कहना है कि, “इस गाँव में ऐसा कोई लड़का नहीं जो कभी जिम न गया हो। गाँव के लड़के बचपन से ही अखाड़ों में आमद देना शुरू कर देते हैं। सभी लड़के कसरत करते हैं, और अपने शरीर को मजबूत बनाने के लिए जुटे रहते हैं। गाँव का कोई भी लड़का न शराब पीता है और न ही तम्बाकू खाता है। गाँव के लड़के अपने भविष्य को लेकर स्पष्ट हैं। उनके सामने सिर्फ एक गोल है, बाउंसर बनना”। ट्रेनिंग के दौरान इन गाँव के युवकों की डाइट का भी खास ख्याल रखा जाता है। एक बाउंसर के लिए दिन में करीब 4 लीटर दूध और 2 किलो दही अनिवार्य है।
गरीब किसानों के युवा बने अच्छी सैलरी वाले बाउंसर्स:
दिल्ली में नाईट क्लब की अधिकता ने इन दो गांवों के युवाओं के लिए एक बेहतर भविष्य का रास्ता बनाया है। बाउंसरर्स की ट्रेनिंग के बाद इन दोनों गांवों के हालात में पहले से सुधार आया है, गरीब किसानों के युवा अब अच्छी सैलरी वाले बाउंसर्स हैं। इन गांवों के 90% युवा दिल्ली के सैकड़ों पबों में बाउंसर्स का काम कर रहे हैं। ओसला-फतेहपुर बेरी का हर युवा अपने भविष्य के प्रति पूरी तरह स्पष्ट है।