नोटबंदी के बाद जहाँ देश का आम आदमी एक-एक पैसे के लिए जूझ रहा है. दिन-रात एटीएम के बाहर लाइन में खड़ा होकर अपने लिए कुछ पैसे मिल जाने का इंतजार कर रहा है, वहीँ यूपी में ‘आईपीएस वीक’ के बाद अब चार दिवसीय ‘आईएएस वीक’ का आयोजन किया जा रहा है. आम जनता की रोज-मर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक पैसा तक नहीं दे पा रहे हैं. एटीएम में कैश उपलब्ध नहीं है.
ऐसे में सवाल उठता है कि आईपीएस वीक के बाद आईएएस वीक में होने वाले बड़े पैमाने पर खर्च के लिए नए नोट कहाँ से आ गए. जबकि बैंक आम आदमी को महज 2 हजार रूपये देने में भी आना-कानी कर रहा है. आईएएस वीक में होने वाले खर्च पर कोई बोलने को तैयार नहीं है. सरकारी मुलाजिमों के पास नोटबंदी के दौर में इस प्रकार का आयोजन सवालों के घेरे में है.
वहीँ साल में एक बार होने वाले आयोजन की जगह नोटबंदी के दौर में भी दूसरी बार आयोजन क्यों? नोटबंदी के बाद लाइन में दिन-रात लगने वाली आम जनता परेशानियों का सामना कर रही है. वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने भी स्वीकार किया कि नए नोटों की कमी है और स्थिति सामान्य होने में और भी वक्त लगेगा.
ऐसे में आईएएस वीक के लिए किये जा रहे खर्च पर जवाबदेही किसकी बनती है. ये आयोजन मामूली नहीं है और इस प्रकार के आयोजन में बड़ी धनराशि की जरुरत होती है, बड़े पैमाने पर इतना पैसा आईएएस वीक के लिए कैसे मिल गया?
जहाँ आम आदमी ख्वाहिशों के बजाय जरूरतें तक पूरी करने के लिए संघर्ष करता नजर आ रहा है, वहीँ आईएएस वीक में अधिकारियों की मौज सबके निशाने पर है.
चार दिवसीय होगा आईएएस वीक का आयोजन:
- उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 15 दिसम्बर से आईएएस वीक की शुरुआत की जा रही है।
- यह आयोजन चार दिवसीय होगा, जिस दौरान प्रदेश भर के प्रशासनिक अधिकारी इसमें शामिल होंगे।
- बीते 9-12 दिसम्बर को राजधानी में आईपीएस वीक का आयोजन किया गया था।
- गौरतलब है कि, इस साल आईएएस वीक को साल में दूसरी बार आयोजित किया गया है।
- इसी की तर्ज पर आईपीएस वीक को भी इस साल दो बार मनाया गया था।