देश में इस समय चुनाव का माहौल चल रहा है। असम, पश्चिम बंगाल के चुनावों के बाद 2017 में सबसे महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव होंगे। जिसके लिए क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पार्टियों ने अपनी अपनी तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन भारतीय राजनीतिक पटल पर कुछ राजनीतिक पार्टी या व्यक्तित्व ऐसे हैं, जो संभवत: 2019 लोकसभा चुनावों के लिए तैयारी कर रहे हैं।

अरविन्द केजरीवाल:

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल इस क्रम में सबसे ऊपर आते हैं, 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए उन्होंने अभी से अपना प्रचार पूरे देश में करना शुरू कर दिया है। अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली सरकार की उपलब्धियों को गोवा तक गिनवा दिया है। वो राष्ट्रव्यापी विज्ञापनों के माध्यम से दूसरे राज्यों की जनता को दिल्ली में हुए कामों का ब्यौरा दे रहे हैं। गौरतलब है कि, 2014 के लोकसभा चुनावों में भी उन्होंने मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी से चुनौती पेश की थी, हालाँकि उन्हें बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। अरविन्द केजरीवाल दिल्ली में किये गए अपने काम को देश के हर राज्य में पहुंचा कर साफ़ बता रहे हैं कि, उनका लक्ष्य 2019 ही है।

मुलायम सिंह यादव:

सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव भी इसी क्रम का हिस्सा हैं, उत्तर प्रदेश में उनकी समाजवादी पार्टी के 4 साल पूरे हो चुके हैं। 2014 के बाद से ही पार्टी ने भी ‘विकास’ को अपना एजेंडा मान लिया है, जिसके तहत प्रदेश की जनता को कई माध्यमों से समाजवादी सरकार की उपलब्धियां गिनाई जा रही हैं। जिसे पार्टी 2017 व 2019 दोनों के लिए भुना सकती है। 2012 में मुलायम सिंह यादव ने सूबे के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी अपने बेटे अखिलेश यादव को सौंपी थी। जिसका एक कारण यह भी था कि, सपा प्रमुख प्रदेश के जिम्मेदारी से मुक्त होकर केंद्र पर ध्यान देना चाहते थे। गौरतलब है कि, 2014 लोकसभा चुनावों में उन्होंने आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार के साथ मिलकर तीसरे मोर्चे की स्थापना की थी।

नीतीश कुमार:

वर्तमान में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2014 में ही प्रधानमंत्री बनना चाहते थे, भाजपा के साथ प्रधानमंत्री के नाम की घोषणा पर हुए मतभेद के बाद उन्होंने मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा बनाया था, जो सफल नहीं हो पाया था। प्रधानमंत्री मोदी की ही तर्ज़ पर नीतीश कुमार बिहार के विकास की बातें करते हैं, हाल ही में बिहार से शराब को बैन कर दिया गया है। गौर करें तो नीतीश कुमार नरेन्द्र  मोदी के पद चिन्हों पर चलने की कोशिश कर रहे हैं, शायद वो जानते हैं की बिना ‘विकास की बात’ के प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचना मुश्किल है।

2019 अभी दूर है:

कुछ राजनीतिक पार्टियाँ 2019 के लिए अभी से कमर कस रही हैं। हालाँकि, उन सभी का एजेंडा विकास ही है, पर जनता तक अपनी बात पहुँचाने का तरीका सबका अलग है। हाल ही में हुए इकोनोमिकल टाइम्स के एक सर्वे में देश की जनता ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में अपना भरोसा कायम रखा है, ऐसे में उन दलों के लिए 2019 अभी दूर है।

UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें