उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कमर कस चुकी कांग्रेस अब एक और नया दांव खेलने जा रही है। 15 साल तक दिल्ली शासन सत्ता की बागडोर संभल चुकी पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अब उत्तर प्रदेश में बतौर मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी का चेहरा होंगी और प्रियंका गांधी को भी महामंत्री बनाने की तैयारी चल रही है। इससे पहले कांग्रेस प्रशांत किशोर को प्रदेश में बतौर रणनीतिकार उतार चुकी है। शीला दीक्षित को बतौर मुख्यमंत्री उतारे जाने के मामले में प्रशांत किशोर और राहुल गांधी कई मीटिंग कर चुके हैं|
- शीला दीक्षित ने एक मीडिया बातचीत में स्वीकार किया है कि उन्हें उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में बतौर मुख्यमंत्री उतारा जा सकता है। हालांकि अभी इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
- शीला दीक्षित का मानना है उत्तर प्रदेश चुनावों की तैयारी में जितनी ज्यादा देरी होगी, पार्टी को उतना ही नुकसान होगा।
- कांग्रेस ने यह दांव अगले विधानसभा चुनावों में फ्लोटिंग वोटर्स को अपनी तरफ खींचने के लिए खेला है।
- कांग्रेस पहले ही नीतीश कुमार और अजित सिंह के साथ गठबंधन कर कुर्मी और जाट वोटों को अपनी तरफ कर चुकी है।
- अब शीला दीक्षित को बतौर मुख्यमंत्री पेश करने से जो 10 प्रतिशत फ्लोटिंग वोटर्स हैं, उनको भी लुभाया जा रहा है।
- इन्हीं ब्राह्मण फ्लोटिंग वोटर्स की वजह से ही विधानसभा चुनावों में मायावती और लोकसभा चुनावों में भाजपा को बड़ी मिली थी। इसके अलावा कांग्रेस मुस्लिम और दलित वोटों को भी अपनी तरफ लुभाने में लगी हुई है।
प्रदेश में कांग्रेस के गुटबाजी की वजह से वर्तमान में इसके पास कोई भी वोट बैंक नहीं है। ऐसे में कांग्रेस वोट बैंक बनाने की पूरी तैयारी कर रही है। पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को सिर्फ 28 सीटें ही मिली थीं, ऐसे में अगर आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 100 सीटें भी मिल जाती हैं, तो ये उसके लिए बड़ी कामयाबी होगी।