दुनिया की सबसे पुरानी सभ्याताओं में से एक मानी जाने वाली सिंधु घाटी सभ्यता जिसकी पहचान है मोहनजोदाड़ो से मिली प्रसिद्ध ‘डांसिंग गर्ल’ की मूर्ति. इस प्रतिमा को लेकर इतिहासकार और पुरातत्व विभाग के शोधकर्ता अलग अलग अंदाज़े लगाते आए हैं. ऐसे ही एक आकलन में यह दावा किया गया है कि यह डांसिंग गर्ल की मूर्ति दरअसल पार्वती की है.
सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग उपासक थे शिव के :
- हाल ही में मोहनजोदाड़ो की प्रसिद्ध डांसिंग गर्ल की मूर्ति पर एक और आकलन सामने आया है
- जिसके अनुसार यह माना जा रहा है कि यह मूर्ति माँ पार्वती की है
- जिसके बाद यह पता चलता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के लोग शिवजी के उपासक थे.
- यह दावा भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (ICHR) की हिंदी पत्रिका इतिहास में प्रकाशित शोध पत्र में किया गया है.
- गौरतलब है कि BHU के रिटायर्ड प्रोफेसर ठाकुर प्रसाद वर्मा ने अपने रिचर्स पेपर में कुछ खुलासे किये हैं
- जिसके तहत सिंधु घाटी सभ्यता को वैदिक पहचान देते हुए उस पुराने दावे को फिर दोहराया है.
- जिसके तहत दक्षिणपंथी इतिहासवाद् यह कहते आए हैं कि इस सभ्यता के लोग शिव के उपासक थे.
- साथ ही वर्मा ने 2500 ईसा पूर्व की इस ‘डांसिंग गर्ल’ की मूर्ति को हिंदू देवी पार्वती बताया है, जो अपने आप में पहला दावा है.
- रिसर्च पेपेर में मोहनजोदाड़ो के अन्य प्रतीकों का भी आकलन किया गया है
- जिसके तहत माना गया है कि उस सभ्यता के दौरान शिव की पूजा की जाती थी.
इतिहासविदों की राय है भिन्न :
- वर्मा के अनुसार प्रसिद्ध सील 420 में जिस तरह योगी और उसके आसपास खड़े जानवरों की झलक नज़र आती है
- उससे साफ लगता है कि उस वक्त शिव की उपासना की जाती थी.
- वर्मा ने यह दावा भी किया है कि डांसिंग गर्ल इसलिए भी पार्वती है क्योंकि जहां शिव होंगे, वहां शक्ति भी होगी.
- हालांकि इस बारे में कुछ और इतिहासवादों की राय भिन्न है.
- जेएनयू की प्रोफेसर सुप्रीया वर्मा कहती है कि आज तक किसी भी पुरात्तत्वविद् ने डांसिंग गर्ल को देवी नहीं बताया है
- इस मूर्ति को हमेशा ही एक युवती की प्रतिमा की तरह ही देखा गया है.
- बताया जाता है कि पुरात्तत्वविद् जॉन मार्शल ने 1931 में इस प्रतिमा को शिव की मूर्ति बताया था
- परंतु बाद में इतिहासकारों ने अलग अलग राय दी जिसमें कुछ ने इसे एक औरत की मूर्ति के रूप में देखा.
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