भले ही सरकार अभी तक यह कहती रही है कि उसने भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) की सलाह पर नोटबंदी का फैसला लिया है. परंतु अब इस मामले में आरबीआई की रिपोर्ट सामने आने के बाद इस फैसले की परतें खुली हैं. जिसके बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी नेता सीताराम येचुरी ने इस मामले पर सरकार को कटाक्ष बयान दिया है.
क्या है आरबीआई की रिपोर्ट :
- भारतीय रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी लागू होने के एक दिन पहले,
- यानी 7 नवंबर को सरकार ने आरबीआई को नोटबंदी के मसले पर विचार करने का आग्रह किया था.
- जिसके अगले ही दिन 8 नवंबर को RBI ने उस पर अपनी सहमति दी थी
- बाद में शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में नोटबंदी के फैसले का ऐलान किया था.
- RBI ने पिछले महीने के अंत में एक संसदीय पैनल के समक्ष पेश रिपोर्ट में यह बात रखी.
- 22 दिसंबर को पेश सात पन्नों की रिपोर्ट में RBI कहा है, ”सरकार ने 7 नवंबर को बैंक को सलाह दी थी
- जिसके तहत जाली नोट, आतंकियों की फंडिंग व कालेधन की समस्याओं से निपटने के लिए,
- सेंट्रल बोर्ड 500 और 1000 के नोटों की कानूनी वैधता को वापस लेने पर विचार कर सकता है.”
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि कालेधन पर लगाम लगाने में इसकी बड़ी भूमिका हो सकती है
- काले धन की अर्थव्यवस्था के खात्मे से भारत के आर्थिक विकास पर सकारात्मक असर पड़ेगा.
- इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि पिछले पांच वर्षों में 500 और 1000 के नोटों के प्रसार में बढ़ोतरी हुई है
- साथ ही इनके जाली नोटों के मामलों में भी इजाफा देखा गया है.
सीताराम येचुरी का बयान :
- RBI द्वारा पीएसी को दी गयी रिपोर्ट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने बयान दिया है.
- जिसके तहत उन्होंने कहा रिज़र्व बैंक ने खुद माना है कि नोटबंदी का निर्णय सरकार का था.
- जिस्क्ले बाद इसे सरकार का तुगलकी फरमान माना जा सकता है.
- ऐसा इसलिए क्योकि इस फरमान से लाखों लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है.
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