हरियाणा सरकार जाट आंदोलन से पहले जाटों में दरार डालने में कामयाब हो गई है. दरअसल 29 जनवरी से जाट समुदाय अपने आरक्षण के लिए गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी आंदोलन करने वाले थे. परंतु अब यशपाल मलिक गुट के प्रस्तावित जाट आंदोलन से पहले प्रमुख खापों के साथ ही कई संगठनों के जाट नेता वार्ता की मेज पर पहुंच गए व आंदोलन से पल्ला झाड़ लिया है.
सरकार ने डाली थी आंदोलन कमज़ोर करने की नीव :
- 29 जनवरी से होने वाला जाट आंदोलन अब कमज़ोर पड़ता नज़र आ रहा है.
- दरअसल जाट समुदाय के मलिक गुट के आंदोलन को कमजोर करने की नींव सरकार द्वारा डाली गयी थी.
- सीएम मनोहर लाल खट्टर के अनुसार समैन व कंडेला खाप के साथ ही सांगवान,दहिया व मान गुट के जाट इसमें शामिल हुए,
- जबकि अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के नेताओं ने इससे पूरी तरह से दूरी बनाए रखी थी.
- जिसके बाद अब सरकार के साथ ही जाट संगठनों की निगाहें यशपाल मलिक के 19 जिलों में प्रस्तावित अनिश्चितकालीन धरनों पर टिक गई हैं,
- ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार ने शहीदों के परिवार को नौकरी देने का निर्णय लेकर जाटों के दिल में उतरने की कोशिश की थी.
- आपको बता दें कि जाट आरक्षण का मामला पहले ही कोर्ट में है,
- जिसके तहत मलिक भी मानते हैं कि आरक्षण जब कोर्ट देगा, मिल ही जाएगा.
- परंतु उनका वर्तमान संघर्ष अन्य छह मांगों को लेकर है,
- जो सरकार ने बीते वर्ष 22 फरवरी को जाट आंदोलन खत्म करने पर हुए समझौते में मानी थी.
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