रामकृष्ण मिशन की स्थापना 1 मई सन 1897 को रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद ने की थी। इसका मुख्यालय कोलकाता के निकट बेलुड़ में है। रामकृष्ण मिशन दूसरों की सेवा और परोपकार को कर्म योग मानता है जो कि हिन्दु धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है। रामकृष्ण मिशन का ध्येयवाक्य है – आत्मनो मोक्षार्थं जगद् हिताय च।

vivekananda-ramakrishna

रामकृष्ण परमहंस के वचन

  • जिस प्रकार मैले दर्पण में सूरज का प्रतिबिंब नहीं पड़ता उसी प्रकार मलिन अंत:करण में ईश्वर के प्रकाश का प्रतिबिंब नहीं पड़ सकता।
  • नाव जल में रहे लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिए, इसी प्रकार साधक जग में रहे लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिए।
  • कछुआ रहता तो पानी में है, पर उसका मन रहता है किनारे पर , जहाँ उसके अंडे रखे रहते हैं। संसार का काम करो पर मन रखो ईश्वर में।
  • वेदांती सदैब विचार करते हैं – ब्रह्म सत्य है , जगत मिथ्या है। यदि जगत मिथ्या है तो जो कह रहे हैं वे भी मिथ्या हैं। उनकी वातें भी स्वप्नवत हैं। बड़े दूर की बात है।
  • पढ़ने तथा अनुभव करने में बहुत अंतर है। ईश्वर दर्शन के बाद शास्त्र-बिज्ञान आदि कूड़ा कर्कट जैंसे लगते हैं।
  • विचार जहाँ पहुंचकर रुक जाते हैं वहीं ब्रह्म हैं।
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें