उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के तहत सभी राजनैतिक दल अपने-अपने समीकरणों के आधार पर चुनाव जीतने की राह तलाश रहे हैं। यूपी विधानसभा चुनाव की अहमियत और खौफ कुछ ऐसा है कि, सभी दलों के बड़े-बड़े सूरमा सब कुछ छोड़-छाड़कर सूबे में प्रचार अभियान के तहत जुटे हुए हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश को किसी भी राजनैतिक दल से इतना मोह नहीं है, जितना राष्ट्रपति शासन से। आइये, हम आपको उत्तर प्रदेश के राष्ट्रपति शासन प्रेम से अवगत कराते हैं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का ‘मायाजाल’:

  • राजनीतिक दृष्टि से देश के सबसे विकसित राज्य उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दो चरण संपन्न हो चुके हैं।
  • उत्तर प्रदेश में चुनाव विधानसभा का हो या लोकसभा का, पूरे देश की नजरें यूपी चुनाव पर आकर टिक जाती हैं।
  • देश की राजनीति में उत्तर प्रदेश के कद को इस तरह से समझा जा सकता है कि, अकेले यूपी से 10 प्रधानमंत्री निकले हैं।
  • उत्तर प्रदेश के चुनाव का मायाजाल इस कदर विचित्र है कि, अच्छे-अच्छे राजनीतिक पंडित भी यहाँ आकर पानी भरने लगते हैं।
  • पूरे देश में एकलौता राज्य उत्तर प्रदेश ही है जहाँ सभी राजनैतिक दलों के परम्परागत वोटर्स मौजूद हैं।
  • वहीँ यूपी के विधानसभा चुनाव में परम्परागत वोटर्स के बावजूद एक तबका ऐसा भी है जो चुनाव का खेल बिगाड़ने का माद्दा रखता है।
  • इस तबके को सूबे की राजनीतिक भाषा में ‘फ्लोटिंग वोटर्स’ कहते हैं।

क्या हैं फ्लोटिंग वोटर्स?:

  • यूपी के सभी दल अपने पुख्ता समीकरणों के बावजूद एक तबके से खौफ खाते हैं।
  • यही तबका फ्लोटिंग वोटर्स कहलाता है।
  • सवाल: इन्हें फ्लोटिंग वोटर्स क्यों कहते हैं?
  • जवाब: इन्हें फ्लोटिंग वोटर्स इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह वर्ग किसी भी दल का परम्परागत वोटर्स नहीं हैं।
  • फ्लोटिंग वोटर्स सूबे के मौजूदा घटनाक्रमों के आधार पर वोट करते हैं।

उत्तर प्रदेश का राष्ट्रपति शासन शासन प्रेम:

  • यूपी देश का एक मात्र ऐसा राज्य है, जिसके बारे में कहा जाता है कि, राजनीति यहाँ के पानी में है।
  • विविधताओं के बारे में बात करें तो पूरा देश एक तरफ उत्तर प्रदेश एक तरफ।
  • राजनीति के दृष्टिकोण में बात करें उत्तर प्रदेश और राष्ट्रपति शासन का प्रेम भी किसी से छुपा हुआ नहीं है।
  • उत्तर प्रदेश देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसमें 10 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है।
  • दूसरे शब्दों में कहें तो, उत्तर प्रदेश राजनैतिक स्वाभाव से अत्यधिक चंचल है, जिसमें दंडस्वरूप 10 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है।
  • इस आंकड़े को देखकर कहा जा सकता है कि, राष्ट्रपति शासन और उत्तर प्रदेश के बीच बहुत गहरा नाता है।
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसा तो नहीं लेकिन नाता है।
  • बड़े से बड़े पंडित भी यूपी की चाय की दुकानों टाइमपास कर रहे लोगों से अच्छा राजनीतिक विश्लेषण नहीं कर सकते।
  • क्योंकि भैया जनसँख्या बहुत ज्यादा है, रोजगार बहुत कम, अब समय काटने के लिए राजनीति से बेहतर क्या हो सकता है।

उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन (एक नजर):

  • पहला राष्ट्रपति शासन: 25 फरवरी से 26 फरवरी 1968, 1 साल 1 दिन।
  • दूसरा राष्ट्रपति शासन: 1 अक्टूबर से 18 अक्टूबर 1970, 17 दिन।
  • तीसरा राष्ट्रपति शासन: 13 जून से 8 नवम्बर 1973, 148 दिन।
  • चौथा राष्ट्रपति शासन: 23 नवम्बर 1975 से 21 जनवरी 1976, 52 दिन।
  • पांचवां राष्ट्रपति शासन: 30 अप्रैल 1977 से 23 जून 1977, 54 दिन।
  • छठा राष्ट्रपति शासन: 17 फरवरी से 9 जून 1980, 113 दिन।
  • सातवाँ राष्ट्रपति शासन: 6 दिसंबर 1992 से 4 दिसंबर 1993, 363 दिन।
  • आठवां राष्ट्रपति शासन: 18 अक्टूबर 1995 से 17 अक्टूबर 1996, 1 साल।
  • नौवां राष्ट्रपति शासन: 17 अक्टूबर 1996 से 21 मार्च 1997, 154 दिन।
  • दसवां राष्ट्रपति शासन: 8 मार्च से 3 मई 2002, 56 दिन।
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