गाजीपुर: उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का वो इलाका जिनके बाशिंदों के खून में पॉलिटिकल प्लेटलेट्स शुरू से ही ज्यादा होता है और मजे की बात यह है की गुजरते वक़्त के साथ-साथ इन प्लेटलेट्स की संख्या में इजाफा होता रहता है, जिससे की यहाँ की सियासत कब और किस करवट मुड़ जाये, ये किसी को भी अंदाज़ा नहीं होता, क्योंकि यहाँ की पॉलिटिकल हांड़ी में सब फ्लेवर पकाये जाते है। जिसमें कास्टिजम से लेकर गैंगवार तक सब शामिल है। कुल मिलाकर जिला गाजीपुर की पॉलिटिकल स्टोरी में ड्रामा,थ्रिलर,एक्शन, मार-धाड़ सबकुछ है। खैर अभी इलेक्शन का वक़्त है तो चलिए यही से शुरू करते हैं।
सदर विधानसभा: सबसे पहले गाजीपुर की सदर विधानसभा की तासीर को समझते हैं। मौजूदा वक़्त में यहाँ के सीटिंग विधायक हैं विजय मिश्र। पहली बार में कुछ हज़ार वोटों से जीत कर विधायक बने और मंत्री भी। क्षेत्र में ऐसी चर्चा है कि मुलायम सिंह के करीबी होने का लाभ इन्हें मिला, लिहाज़ा टिकट और पद दोनों मिला। लेकिन नई समाजवादी लहर में टीपू यानी अखिलेश ने मिश्रा को भाव तक नहीं दिया। अब विजय बसपा का दामन थाम लिए, बिना टिकट के।
अगर इस बार सदर के प्रत्याशियों की बात की जाये तो सभी दलों ने नए नवेलों पर ही बाज़ी लगाई है। और हर पार्टी यही मानकर चल रही है की उसका बेस वोट आज भी मजबूत है बस कोई एक और कास्ट उस पर भरोसा कर ले। बीएसपी ने एक तरफ संतोष यादव को टिकट दिया है तो कांग्रेस के सहयोग से ले कर सपा ने राजेश कुशवाहा पर भरोसा किया है। वहीँ बीजेपी ने बम्पर मात्रा में बिंद वोट को साधने के लिए संगीता वलवंत को उतारा हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस सीट पर भी रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है।
जंगीपुर विधानसभा: अब बात सदर के बगल जंगीपुर विधानसभा की करते हैं। यहाँ भी बीजेपी बेस वोट को मजबूत करने की कोशिश में जुटी हुई है। तो सपा ने वर्तमान विधायक किस्मती देवी के पुत्र और जिलापंचायत अध्यक्ष वीरेंद्र यादव पर भरोसा जताया है। बसपा ने 2012 के प्रत्याशी इंजी. मनीष पाण्डेय को रिपीट मारा है।
जहूराबाद: इस सीट को समाजवादी कुनबे कि कलह की ज्यादा नज़र लगी है जिसकी वजह से शिवपाल की करीबी और वर्तमान विधायक शादाब फातिमा का टिकट काट महेंद्र चौहान को टिकट दिया गया है। स्थानीय मतदाताओं के अनुसार, इस सीट पर आज तक राजभर और मुस्लिम ही हार-जीत की वजह बनते हैं। भाजपा ने यह सीट अपनी सहयोगी पार्टी भासपा को दी है जहाँ से ओम प्रकाश राजभर चुनाव लड़ रहे हैं। बीएसपी ने अपने पुराने प्रत्याशी और पूर्व विधायक काली चरण राजभर पर ही भरोसा जताया है।
मुहम्मदबाद: स्थानीय लोगों का कहना है कि सपा को कांग्रेस का समर्थन इस सीट पर नहीं करना चाहिए था। अंसारी परिवार और सपा के बीच कलह का असर इस सीट पर दिखाई देने के पूरे आसार हैं। यहाँ बसपा से शिबगतुल्लाह अंसारी, सपा यहाँ कांग्रेस को सपोर्ट कर रही है तो वही भाजपा से के. एन. राय की पत्नी अलका राय मैदान में हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, शिबगतुल्लाह के सामने अलका राय कड़ी चुनौती पेश करती नजर आ रही हैं।
जमानियां: अब बात जमानियां विधानसभा की तो यहाँ लड़ाई पुराने पुरोधा और नए लोगों में हैं। एक तरफ अखिलेश ने ओम प्रकाश सिंह को टिकट दिया है वही बसपा ने अतुल राय पर दाव लगाया है। लेकिन बीजेपी ने यहा महिला प्रत्याशी को खड़ा किया जो राजपूत समाज से है। सपा में कलह के बाद अब इस सीट पर ओमप्रकाश कितना मजबूत दावा पेश कर पाते हैं ये तो परिणाम बताएगा। स्थानीय लोग इस सीट पर मुकाबला रोचक बता रहे हैं।