भारत और पाकिस्तान के बीच जारी सिन्धु जल विवाद और गरमाता नजर आ रह है. भारत ने सख्त कदम उठाते हुए पश्चिमी नदी का पानी 36 मिलियन एकड़ फीट में स्टोर करने का निर्णय लिया है. सिंधु, झेलम और चेनाब पश्चिमी नदी के तहत आता है.भारत के इस निर्णय से पाकिस्तान को सबक मिलेगा.
मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने की कोशिशें तेज
- इस मामले में कश्मीर और पंजाब में एक अहम समझौता हुआ है.
- शाहपुर कांडी बांध परियोजना पर दोबारा काम शुरू होने की परियोजना है.
- यह बाँध गुरदासपुर जिले में स्थित है.
- जब यह निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा तो पंजाब और कश्मीर स्थित जमीनों की
- सिंचाई में जल उपयोगी होगा.इसके आलावा 206 मेगावॉट बिजली भी पैदा की जा सकेगी.
साल 1999 में शुरू हुआ था काम
- इस प्रोजेक्ट पर साल 1999 में काम शुरू हुआ था.
- साल 2014 में पंजाब और कश्मीर में हुए विवाद के बाद कार्य बंद कर दिया गया है.
- प्लान के तहत निर्माण होने के बाद इंडस जल सिन्धु का पानी
- पूरी तरह इस्तेमाल में लाया जा सकेगा.
क्या था सिन्धु नदी समझौता :
- 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी शासक अयूब खान में
- समझौता हुआ था.इसके तहत सिंधु बेसिन में बहने वाली छह नदियों में से सतलुज, रावी और
- ब्यास पर तो भारत का पूर्ण अधिकार है.वहीं पश्चिमी हिस्से की सिंधु, चेनाब और झेलम के
- पानी का भारत सीमित इस्तेमाल कर सकता है.ऐसे में पहली नजर में तो ये लगता है कि
- समझौता तोड़ने का फैसला पाकिस्तान को प्यासा मार सकता है .
- हालांकि यह ये इतना आसान नहीं है क्यूकि ऐसा तय हुआ था कि
- भारत सिंधु, झेलम और चिनाब पर बांध नहीं बनाएगा.
- इस कारण भारत के सामने दिक्कत है कि पाकिस्तान के हिस्से का पानी रोकने के लिए
- बांध और कई नहरें बनानी होंगी.जिसमे बहुत वक्त और पैसा लगेगा
- इसके अलावा इससे विस्थापन की समस्या का सामना भी करना पड़ सकता है.
- इसके साथ ही पर्यावरण भी प्रभावित हो सकता है पर
- पाकिस्तान इससे प्रभावित नहीं होगा ऐसा माना जा रहा है.
- लेकिन अब स्थिति पलटती नजर आ रही है भारत ने इस निर्णय के तहत पाकिस्तान को
- करारा जवाब दिया है. अब पाकिस्तान इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया देता है ये देखने वाला होगा.
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