वैसे तो सत्ता का सड़क से नहीं महल से मतलब होता है लेकिन लोकतंत्र मे सड़क नापते हुये ही सत्ता के महल तक पहुचा जा सकता है, लिहाजा एक-एक कर चक्रव्यूह के छह दरवाजे पार करने के बाद अब सत्ता के सातवें दरवाजे पर सभी सियासी दल और दिग्गज नेता दस्तक दे रहे हैं.चक्रव्यूह मे फंसकर युद्ध करते हुये अभिमन्यु की तरह वीरगति को प्राप्त करने का त्याग कोई नहीं करना चाहता है. यहाँ तो सातवें दरवाजे को तोड़कर उस कुर्सी को हासिल करना है जहाँ बैठकर सत्ता का सुख हासिल किया जा सके. अभिमन्यु ने खुद के प्राण न्यौछावर कर धर्म को विजय दिलाई. यहाँ धर्म के सहारे विजय पताका फहराने की कोशिश की जा रही है.
फिलहाल सारा युद्ध अब काशी की धरती पर समाहित हो गया है. सात जिलों की चालीस सीटें जीतने के लिये सड़क पर संग्राम जारी है जिसे हम रोड शो के नाम से जानते हैं. एक गौर करने वाली बात यह है कि रोड शो करने वाले सियासत के धुरधंरों मे से एक की भी नजर रोड के किसी किनारे पर नही गई जहाँ अधनंगा और भूख से परेशान एक अदद झोपड़े की तलाश में देश का गरीब आदमी जाड़ा-गर्मी बरसात सब झेल रहा है. शर्मनाक यह है कि वह पहले भी रोड पर था औऱ आज भी रोड पर ही है. लेकिन नया तमाशा देखकर थोड़ा खुश वह भी हो रहा है क्योंकि रंगारंग कार्यक्रम की तरह गाने-बजाने के साथ काशी की सड़कों पर हो रहे रोड शो के जरिये थोडा सा मुफ्त का मनोरंजन उसका भी हो रहा है. सत्ता की चाभी इसी सड़कछाप आदमी के पास होती है जो हर बार ऐसे ही तमाश से दो चार होता है.
काम की बात यह है कि देश के तीन बडे नेता काशी की सड़कों पर घूम रहे है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी औऱ उनकी पूरी कैबिनेट. यूपी के युवा सीएम औऱ देश के सबसे बड़े सियासी कुनबे के वारिस अखिलेश यादव औऱ देश के सियासी राजघराने के युवराज राहुल गांधी. सब के सब सड़क पर है. यह देखकर काशी ही नहीं देश की सड़क किनारे रहने वाली जनता खुश जरुर हो रही होगी कि कुछ देर के लिये ही सही एक लाईन से सबको सडक पर ला दिया.
द्वारा:
मानस श्रीवास्तव