देश की राजधानी दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और प्रदेश की औद्यौगिक राजधानी कानपुर में सांस लेना मुश्किल हो गया है। उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के फरवरी की रिपोर्ट के मुताबिक कानपुर-लखनऊ के कई इलाकों में एयर पॉल्यूशन बहुत ज्यादा हो गया है।
राजधानी लखनऊ के सबसे व्यस्ततम इलाका हजरतगंज में सबसे ज्यादा एयर पॉल्यूशन है। अगर आप इस इलाके में रहते हैं तो आप को एयर पॉल्यूशन (वायु प्रदूषण) से बचने की जरुरत है। उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट देखें।
अगर कानपुर की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा खतरा रामादेवी इलाके में है। उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट देखें।
उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की रिपोर्ट देखें, कितना तक रहे एयर पॉल्यूशन (वायु प्रदूषण) तो ठीक है।
एयर पॉल्यूशन से इंडिया में 52 फीसदी मौतें असमय
वाशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैलुएशन (आईएचएमई) और ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के सहयोग से हेल्थ एफेक्ट इंस्टीट्यूट ने यह रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘2015 में पीएम 2.5 के कारण 42 लाख लोगों की मौत हुई और इसके कारण हुई मौतों में से करीब 52 फीसदी मौतें भारत और चीन में हुई।’’ रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रति एक लाख लोगों में से 135 लोगों की मौत वायु प्रदूषण के कारण हो रही है।
विटामिन ‘बी’ वायु प्रदूषण का असर घटाने में मददगार!
- विटामिन ‘बी’ का सेवन एयर पॉल्यूशन के इफेक्ट को कम करता है।
- यह एक शोध में पता चला है।
- शोध के निष्कर्ष में बताया गया है कि जब हवा में मौजूद धूलकणों का व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से कम हो तो व्यक्तिगत स्तर पर पीएम 2.5 के धूलकणों के प्रतिकूल प्रभाव को कैसे रोका जाये।
- वातावरण में पीएम2.5 का प्रदूषण एयर पॉल्यूशन में से एक है, क्योंकि यह श्वसन नलिका में इकट्ठा हो जाते हैं।
- इससे फेफड़े और श्वसन प्रणाली में सूजन और तनाव आ जाता है।
- अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय के मेलमैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के अंद्रिया बक्करेली ने कहा, ‘हमारे शोध से वायु प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए निवारक विकसित करने में मदद मिलती है।’
- विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि दुनिया की करीब 92 फीसदी आबादी ऐसे जगहों पर रहती है, जहां वायु गुणवत्ता का स्तर सुरक्षा दिशा निर्देशों के विपरीत हैं।
- इस शोध का प्रकाशन पत्रिका ‘प्रोसिडिग्स ऑफ दि नेशनल एकेडेमी ऑफ साइंसेज (पीएनएएस)’ में किया गया है।