भारत में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. यहाँ के खिलाड़ी देश ही नहीं विदेश में भी भारत का नाम ऊँचा कर देश का गौरव बढ़ाते हैं. लेकिन दुःख तब होता है जब उस प्रतिभावान की पैसों की तंगी के चलते मौत हो जाये. ऐसा ही मामला सामने आया है उत्तर प्रदेश का देवरिया जनपद के रुद्रपुर तहसील के पिपरा कछार गांव से.
देश-विदेश में किया भारत का नाम रोशन-
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- रुद्रपुर के तहसील मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर पिपरा कछार गांव के रहने वाले राजबली प्रसाद की बीती रात सदर अस्पताल में मौत हो गयी.
- पैरों से विकलांग राजबली का ट्राई साईकिल ही सहारा था.
- लेकिन उनके दिल में देश के लिए कुछ करने की तम्मना थी.
- राजबली तैराकी और गोला छेपन के खिलाडी थे.
- दोनों पैरो से विकलांग होने के बावजूद राजबली ने देश विदेश में दर्जनों मैडल जीते.
- 1982 विकलांग ओलंपिक जो जापान में हुआ था उसमें राजबली ने तैराकी में दो और गोला छेपन में एक स्वर्ण पदक जीत था.
- इतना ही नहीं 1982 में हांग कॉंग में भी उन्होंने तैराकी में स्वर्ण जीता था.
- इसके साथ ही दर्जनों मेडल राजबली ने अपने नाम कर देश का मान-सम्मान और गौरव बढ़ाया था.
आर्थिक तंगी के चलते हुई मौत-
- राजबली ने देश का मान सम्मान पूरी दुनिया में बढ़ाया.
- लेकिन उनकी गरीबी ने उनका पीछा नहीं छोड़ा.
- उनकी पत्नी मेहनत मजदूरी कर परिवार का पेट भरती रही.
- राजबली ने बेटी की शादी के लिए कुछ पैसे जमा किये थे वो भी नहीं मिल पा रहे थे.
- राजबली को बेटी की शादी की चिंता रहती थी, जिसके चलते राजबली को ब्रेन हैमरेज हुआ कोमा में चले गए.
- बीती रात सदर अस्पताल में राजबली की मौत हो गयी.
- उनकी पत्नी का कहना है कि उन्हें बेटी की शादी की चिंता रात-दिन रहती थी.
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