बीजेपी की कार्यसमिति की बैठक में संबोधित करते हुए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने सभी को चुनाव में जीत के लिए बधाई दिया और सभी पदाधिकारियों के योगदान के लिए उनका आभार व्यक्त किया. इसके साथ ही केशव प्रसाद मौर्या ने चुनावी रणनीति का काफी हद तक खुलासा भी किया और बताया कि वो कौन से कारण थे जिसके वजह से बीजेपी की विशाल अंतर से जीत संभव हो सकी.
डिप्टी सीएम ने भाजपा की ऐतिहासिक जीत के अहम पहलुओं को गिनाया:
बूथ का गठन:
सूबे में 1 लाख 41 हजार 395 बूथ थे जो कि वर्तमान में 1 लाख 47 हजार 401 तक पहुँच गए. 1 लाख 28 हजार बूथों पर बूथ अध्यक्ष बनाए गए. इसके अलावा 1 लाख 8 हजार बूथों पर 10 से 21 सदस्यों की बूथ समितियों का गठन भी किया गया. 13 लाख 50 हजार कार्यकर्ताओं का डाटा प्रदेश कार्यालय पर उपलब्ध है और पूरी जानकारी एकत्र की गई.
बूथ का प्रबन्धनः
‘मेरा बूथ सबसे मजबूत’ नारे के साथ क्षेत्रीय स्तर पर 4 जून को कानपुर, 7 जून को कासगंज, 27 जून को यूपी के बाराबंकी, 30 जून को मेरठ, एक जुलाई को बस्ती, 2 जुलाई को जौनपुर में क्षेत्रीय बूथ अध्यक्षों का सम्मेलन बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में बुलाया गया.
विधानसभा बूथ अध्यक्ष की बैठकः
सूबे में 389 विधानसभाओं में बूथ अध्यक्षों की बैठकें हुईं. जिनमें 88,253 बूथ अध्यक्ष मौजूद रहे. इसमें नए मतदाताओं से सम्पर्क करपार्टी से जोड़ने, अपने वोट को बूथ तक लाने आदि की योजनाओं पर मंथन हुआ.
इसके अतिरिक्त पीएम मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र के बूथ सम्मेलन में कार्यकर्ताओं को सम्बोधित किया। इस बूथ सम्मेलन में 26 हजार कार्यकर्ता सम्मिलित हुए.
कई कार्यक्रमों का हुआ आयोजन:
- आई0टी0 कार्यशाला एवं प्रदेश सम्मेलन
- आई0टी0 सेन्टर (अटल आई0टी0 सेन्टर)
- परिवर्तन वीडिया वैन
- कमल सन्देश बाइक अभियान
- यूपी के मन की बात
- कमल मेला
- युवा टाउन हाॅल
- तिरंगा यात्रा
- नवमतदाता पंजीकरण अभियान
- परिवर्तन यात्रा
- महिला सम्मेलन
- युवा सम्मेलन
- स्वाभिमान सम्मेलन
- व्यापारी सम्मेलन
- उड़ान (महिलाओं से संवाद)
- किसान अभियान
- काॅलेज सभाएं
इसके अलावा चुनाव प्रबंधन के लिए पदाधिकारियों के साथ लगातार जनसंपर्क बढ़ाने को लेकर चर्चा और उसको अमली जामा पहनाने पर काम किया गया. तात्कालीन प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में यूपी में तरह-तरह की सभाएं और जन-संपर्क अभियान चलाये गए. पीएम मोदी के सन्देश को सीधे जनता तक पहुँचाने का काम भी सभी पदाधिकारियों को दिया गया था.
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