देश के राष्ट्रपति का चुनाव अगले महीने होने जा रहा है. इसको लेकर यूपी की सियासत गरमाई हुई है. तमाम राजनीतिक दल अपने-अपने मनपसंद उम्मीदवारों के समर्थन में उतरकर आ रहे हैं. एनडीए ने अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. बिहार के वर्तमान राज्यपाल और राज्यसभा में 12 साल तक सांसद रहे रामनाथ कोविंद को बीजेपी ने मैदान में उतारा है. बीजेपी द्वारा रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद मायावती (bsp supremo mayawati) का बयान आया था.
मायावती तलाश रही हैं विकल्प:
- मायावती ने कहा था कि अगर और कोई दूसरा दलित उम्मीदवार मैदान में नहीं उतरता है तो वह इनके पक्ष में समर्थन दे सकती हैं.
- ऐसे उन्होंने संकेत दिए थे कि रामनाथ कोविद के पक्ष में नकारात्मक रूप अपनाने का कोई मतलब नहीं है.
- अब इसको देखते हुए नए समीकरण तैयार किए जा रहे हैं.
- अभी तक तो यह कहा जा रहा है कि बीजेपी ने दलित उम्मीदवार को उतारकर मास्टर स्ट्रोक खेला है.
- लेकिन यह कितना कारगर साबित होगा यह आने वाले कुछ दिनों में मालूम हो जाएगा.
- खुद को दलितों का नेता बताने वाली मायावती के लिए यह किसी झटके से कम नहीं है.
- मायावती वाला के दूसरे ऑप्शन की तलाश में जुटी हैं.
- उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि रामनाथ कोविंद के सामने अगर कोई और दलित उम्मीदवार खड़ा होता है तो वह उसी को समर्थन देंगी.
- ऐसे में अब यह कहा जा सकता है कि राष्ट्रपति चुनाव भी जातिवादी समीकरणों पर ही खेला जा रहा है.
- इनके उम्मीदवारों का चुनाव भी जातिगत तरीके से ही किया जा रहा है तो यह गलत नहीं होगा
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