भारत में 25 जून 1975 की वह काली रात जब देश में आपातकाल लग गया था। केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में आपातकाल को सबसे काला अध्याय करार देते हुए, इसे एक अध्याय के रूप में स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किए जाने पर जोर दिया।
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आपातकाल के बारे में लोग आज भी जानना चाहते हैं :
- केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने आपातकाल पर बड़ी बातें कही है।
- कहा आपातकाल ने एक पीढ़ी के मन में ऐतिहासिक छाप छोड़ी है जिसके बारे में जानने को लेकर आज भी उत्सुकता होती है।
- आगे कहा यह आज की युवा पीढ़ियों को बमुश्किल ही याद होगा और उनमें से कुछ उस काल के जख्म और यातना की कहानियों को पढ़ सकते हैं।
- केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हालांकि चार दशक बीत गए, लेकिन आपातकाल को लोग नहीं भूले।
- कहा कि इसे ना ही भुलाया जाना चाहिए और न ही इसे माफ किया जाना चाहिए।
- उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि आपातकाल पर एक अध्याय स्कूल के पाठ्यक्रमों में शामिल होना चाहिए ताकि आज की युवा पीढ़ी इसके बारे में जान सके।
भारतवासी भुला नहीं सकते हैं आपातकाल :
- आपातकाल के 42 साल के पूरे होने के मौके पर पीएम ने ‘मन की बात‘ में जिक्र किया।
- पीएम मोदी ने उस दौर को याद करते हुए कांग्रेस पर बिना नाम लिए निशाना साधा।
- मोदी ने आपातकाल की भयावहता को दर्शाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता का जिक्र किया।
- पीएम ने उस कविता का जिक्र किया जो वाजपेयी ने आपालकाल के एक साल पूरा होने पर जेल में लिखी थी।
- मोदी ने कहा कि 1975 में 25 जून ऐसी काली रात थी जो कोई भारतवासी भुला नहीं सकता है।
- कहा आपातकाल के समय देश को जेल में बदल दिया गया था और विरोधी स्वर को दबा दिया गया था।
- आगे कहा कि उस समय न्याय व्यवस्था भी आपातकाल के भयावह रूप से बच नहीं पाई थी।
- पीएम मोदी ने कहा कि आपातकाल के समय अखबारों को तो बेकार कर दिया गया था।
- कहा उस समय अटल बिहारी वाजपेयी भी जेल में थे, एक वर्ष पूरे होने पर उन्होंने एक कविता लिखी थी।
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