सुबह-सुबह उठकर बच्चों को तैयार करना फिर उनकी हर जरुरत को उनके बैग में रखना। बस का इंतजार और बस में बच्चे को बैठकर मम्मी चली गयी निश्चित होकर की अब उनका बच्चा सही सलामत स्कूल पहुंच जायेगा। लेकिन, उन्हें शायद ये नहीं पता है की इसके बाद भी उनका बच्चा सुरक्षित नहीं है। इसको बयां करने के लिए बच्चों की ये फोटो आपके लिए काफी होगी जिसे स्कूली बच्चों को भूसे की तरह टेम्पो, बस और रिक्शा में भर दिया गया है। आये दिन हादसे होने के बाद भी घटनाओं से सबक नहीं लिया जा रहा है।
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हादसों से लें सबक
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- सरकार के निरंतर प्रयासों के बाद भी हमारे देश के लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं।
- फिर चाहे वो अधिकारी हो या कर्मचारी या फिर गाडी चलने वाले ड्राइवर।
- हम अपने बच्चों को इनके भरोसे स्कूल भेज देते हैं।
- लेकिन कभी ये देखने का प्रयास नहीं करते की कही उन्हें कोई परेशानी तो नहीं है।
- तभी हमारे बच्चों के साथ हादसे हो जाते हैं।
- और बाद में हमारे पास आसुओ को बहाने के अलावा कोई रास्ता नहीं रह जाता है।
- मोहनलाल गंज में स्कूली बस का पलटना इसका ताज़ा उदहारण है।
- बसों और टेम्पो में बच्चो को भर दिया जाता है जिसमे बच्चों को बैठना तो दूर खड़े होने की भी जगह नहीं मिलती है।
- ऐसे में कही बार धक्का लगने से बच्चे टेम्पो के बाहर आकर सड़क पर गिर जाते हैं।
- ऐसे में कई बार तो मामूली चोट ही आती है लेकिन कभी कभी बड़ा हादसा हो जाता है।
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