एक दिन ऑफिस से थका हारा लौटने के बाद मैं यू-ट्यूब पर जसपाल भट्टी का मशहूर ‘फ्लॉप शो’ देख रहा था, छोटा भाई साथ था इसलिए वो भी देखने लगा। फ्लॉप शो पारम्परिक जीवन शैली और रोजमर्रा की जिंदगी पर एक बेहद संजीदा कार्यक्रम था जो आपके चेहरे पर मुस्कान लाने के साथ साथ आपको जिंदगी की सीख भी देता था। कुछ ही देर में मेरा भाई ‘ये क्या बोरिंग शो देख रहे हो’ बोलकर वहां से चला गया। पहले मुझे यह उसकी नासमझी मात्र लगी पर फिर जब मैंने इस पर विचार किया तो एक बात समझ में आई।

आज कॉमेडी में अश्लीलता परोसना इतनी आम बात हो गयी है कि सामान्य जीवन का व्यंग्य लोगों को ‘बोरिंग’ लगने लगा है। ये किसी एक व्यक्ति का संस्था की वजह से नहीं है, इस ट्रेंड को समाज के एक हिस्से ने अपनाया है। पर अब स्थिति ये हैं कि ‘भारत रत्न’ पर बेहूदा तंज भी ‘कॉमेडी’ कहलाने लगा है, और विडंबना ये है कि समाज का एक हिस्सा इसे कूल भी मानता है। भारत की पहचान लताजी के मरने से लेकर क्रिकेट के भगवान तेंदुलकर की डॉक्टर्ड वीडियो डालना मात्र ही नहीं और भी बहुत कुछ है जो निंदनीय है। अमेरिकन ‘रोस्ट’ का भारतीय संस्करण लाने वाले AIB ने ऐसा किया, पहले लगता था AIB गलती से ऐसा कर जाता है, पर अब साफ़ है ये सस्ती लोकप्रियता का खेल है। इसे महज मजाक कह देना उन तमाम व्यंगकारों का अपमान ही होगा जो एक पंक्ति लिखने के लिए कभी कभी पूरा दिन लगा देते हैं।

आपके समक्ष तन्मय भट्ट द्वारा किये गए 7 ट्वीट्स लेकर आया हूँ, पढ़ें और बताएं कि क्या ये ‘मजाक’ मात्र है:

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आज का लेख कोई न्यूज़ रिपोर्ट नहीं है, ये मेरी अभिव्यक्ति की आज़ादी है जो शब्दों के माध्यम से बाहर आ रही है। लोकप्रियता के लिए इन ‘चीप ट्रिक्स’ का इस्तमाल करने वालों को एक सन्देश देना है। ये कोई नयी बात नहीं है, और ये एक सोची समझी रणनीति के तहत किया जाता है। फैसला हमारा है कि क्या हम इस देश को जहाँ के बच्चे तक गीता का पाठ पढ़ा करते हैं पूरी तरह से ‘वेस्टर्न समाज’ में तब्दील करना चाहते हैं?

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