कुछ किये बिना ही जय जयकर नहीं होती।

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।   

इन प्रसिद्ध कविता की पंक्तियों को एक बार फिर हमारे देश की बेटी ने चरितार्थ कर दिखाया है। अपने बुलंद हौसलों के बल पर देश की बेटी पर्वतारोही ज्ञान नंदिनी का चयन अब यूरोप की सबसे ऊँची चोटी माउंट एल्ब्रुश पर तिरंगा लहराने के लिए किया गया है। ज्ञाननंदनी संभल में चंदोसी तहसील के छोटे से गाँव फरीदपुर की।

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 नहीं मिलती कोई मदद-

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  • कहते हैं की कुछ करने का जूनून हो तो रास्ते अपने आप बन जाते हैं।
  • ऐसा कुछ संभल में चंदोसी तहसील के गाँव फरीदपुर की पर्वता रोही ज्ञान नंदिनी के साथ भी हुआ।
  • अपने जूनून के बल पर ज्ञान नंदिनी ने परिवार की आर्थिक तंगी के बावजूद मुकाम हासिल किया।
  • बुलंद होंसले की बदौलत हिमालय की तमाम चोटियों पर वह अब तक 44 बार तिरंगा फहरा चुकी हैं।
  • अब तो अपने गाँव और देश का नाम रोशन कर वह गाँव की वेटियो के लिए एक मिसाल बन गई है।
  • अफ्रीका के सबसे ऊँचे पहाड़ किलिमंजारो और भारत की गंगोत्री चोटी पर उन्होंने तिरंगा फहराया है।
  • अब उनका चयन यूरोप की सबसे ऊँची चोटी माउंट एल्ब्रुश के लिए किया गया है।
  • पर्वता रोही ज्ञान नंदिनी के पिता नंदकिशोर एक मामूली किसान है।
  • बेटी के सपनो को पूरा करने की जिद व जूनून के चलते नंदकिशोर पर कई लाख का कर्ज हो गया है।
  • लाखो का कर्जदार होने के बाबजूद नंदकिशोर ने ज्ञान नंदिनी को किसी बात की कमी नहीं होने दी।
  • ज्ञान नंदिनी के पिता नंदकिशोर सरकार की और से कोई आर्थिक मदद न मिलने से काफी आहत है
  • उपेक्षा का दर्द उनकी आँखों में साफ़ दिखाई देता है।
  • कहते है सरकार ,बेटियों को पढ़ाने ,और आगे बढाने के लिए बड़ी बड़ी बाते तो करती है।
  • लेकिन ग्रामीण परिवेश की खेल प्रतिभाओं के प्रोत्साहन के लिए कोई मदद नहीं करती।
  • सरकार की उपेक्षा के बाबजूद नंदकिशोर के हौंसले में कोई कमी नहीं आयी है।
  • आर्थिक तंगी के चलते पर्वतारोही ज्ञान नंदिनी के पास पहाड़ों के लिए जरुरी ट्रेनिंग के लिए उपकरण और संसाधन तक नहीं है।
  • फिजिकली फिट रहने के लिए ज्ञान नंदिनी चारा मशीन से चारा काटती है।
  • समय मिलने पर गाँव के बच्चो को पढ़ाती है और गाँव की वेटियो को फिट रहने के लिए फिजिकल ट्रेनिंग भी देती।
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