प्रदेश के बीएड कॉलेजों की खाली सीटों को भरने के लिए सभी कॉलेजों को सीधे प्रवेश का मौका दिया गया है। इसके लिए उन्हें केवल दो तीन ही दिनों का समय दिया गया है। ऐसे में बीएड की करीब 53 हजार खाली सीटों को दो चरण की काउंसिलिंग की प्रक्रिया के बाद भी नहीं भरा जा सका। ऐसे में तीन दिन के सीधे प्रवेश में किस तरह से नियमों के अनुसार सीट भर पाना बेहद मुश्किल है।

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करीब 53 हजार से अधिक सीटें खाली

  • बीएड-2017 की जिम्मेदारी संभाल रहे लविवि का दावा है कि उसने शासन से एडमिशन के लिए 20 जुलाई तक मोहलत देने की मांग की है।
  • शासन एलयू की मांग को नहीं मानता है तो 16 जुलाई तक कॉलेजों को सीधे प्रवेश से सीटें भरनी होंगी।
  • अन्यथा सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार बीएड एडमिशन 15 जुलाई तक समाप्त हो जाना चाहिए।
  • लेकिन 15 जुलाई को शनिवार और 16 जुलाई को रविवार को होने के कारण कॉलेजों को एक दिन अधिक मिला है।
  • लविवि ने छह जून से बीएड एडमिशन के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया शुरूकी थी।
  • पहले चरण की काउंसिलिंग प्रक्रिया के बाद 67 हजार सीटें खाली रह गई थी।
  • इन सीटों को भरने के लिए लविवि प्रशासन ने सात जुलाई को पूल काउंसिलिंग शुरू कराई थी।
  • इसका रिजल्ट 13 जुलाई को जारी किया गे था।
  • जिसमें 67 हजार खाली सीटों के लिए 23 हजार स्टूडेंट्स को सीटें एलॉट की गयी।
  • इसमें से नौ हजार स्टूडेंट्स ने आखिरी समय में फीस नहीं जमा की।
  • ऐसे में यह सीटें भी एलॉट होने के बाद खाली रह गई।
  • दो चरणों के बाद अभी तक बीएड-2017 में करीब 53 हजार सीटें खाली है।

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इन्हें नहीं मिलेगा मौका

  • बीएड कोऑर्डिनेटर प्रो. एनके खरे का कहना है कि जिन स्टूडेंट्स को पहले चरण और पूल काउंसिलिंग में सीट एलॉट हो चुकी है।
  • उन्होंने एडमिशन के लिए फीस जमा नहीं की है।
  • ऐसे किसी भी स्टूडेंट्स को कॉलेज सीधे प्रवेश नहीं दे सकेंगे।
  • ऐसे में जिन स्टूडेंट्स को अभी तक सीटें एलॉट नहीं हुई हैं, उनका सीधा प्रवेश लेना है।
  • कॉलेजों के लिए ऐसे स्टूडेंट्स का पता लगाना और उन्हें एडमिशन देना काफी मुश्किल है।
  • क्योंकि सीधे प्रवेश के लिए लविवि की ओर से केवल तीन दिन का समय दिया गया है।
  • जानकारों का कहना है कि ऐसे में इस बार बीएड की करीब 50 हजार सीटें खाली रह सकती है।

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