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हमारे देश में सर्व शिक्षा अभियान की सफलता के लिए हर दिन प्रयास होता है। सरकार भी प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को हर सुविधा देने की बात करती है। लेकिन, कहते हैं न की दूर के ढोल सुहावने होते हैं। बस ऐसा ही कुछ हाल हमारे देश की शिक्षा व्यवस्था का भी है। कारण कुछ भी हो लेकिन योगी सरकार में भी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। नया सत्र शुरू होने के बाद भी अभी तक बच्चों को ड्रेस तक नहीं मिली है।

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 झाड़ू लगाने की लगती है ड्यूटी

  • आज uttarpradesh.org की टीम गोमती नगर के एक प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल में सर्व शिक्षा अभियान की हकीकत जानने पहुंची।
  • यहाँ हमारे सामने जो सच्चाई आयी वो बहुत ही चौका देने वाली थी।
  • गर्मी और अँधेरे में बैठकर यहाँ के बच्चे अपने उज्जवल भविष्य का सपना देखते नजर आये।
  • यहाँ के छात्रों की हालत देखकर तो बिलकुल भी नहीं कहा जा सकता है की सरकार इनके लिए कुछ कर रही है।

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  • स्कूल में प्रवेश करते ही हमे कुछ बच्चे हाथ में झाड़ू लिए परिसर की सफाई करते नज़र आये।
  • जब उनसे पूछा गया की क्या ये काम आप रोज करते है तो उनका जवाब सुन हम हैरत में पड़ गए।
  • उन्होंने बताया की हम लोगों की अलग-अलग दिन झाड़ू लगाने की ड्यूटी लगती है।
  • इसके लिए मैडम के कमरे में एक लिस्ट लगी है जिसमे सभी का झाड़ू लगाने का दिन तय है।

अगले पेज पर देखें शिक्षा की बदहाली:

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देखें वीडियो-

https://youtu.be/9HafjcKKMCA

पोंछते रहे पसीना पढ़ते रहे किताब

  • गुलाम हुसैनपुरवा के इस परिसर में प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक दोनों ही स्कूल चलते हैं।
  • लेकिन विडम्बना देखिये एक स्कूल में बिजली है लेकिन दूसरे स्कूल में कई सालों से बिजली नहीं है।
  • ऐसे में इस उमस भरे दिनों में बच्चे गर्मी में पसीने से तर होकर पढ़ने को मजबूर हैं।
  • वही शिक्षक भी बच्चों के साथ पसीना पोछते ही नजर आये।
  • कारण पूछने पर स्कूल की एक शिक्षिका ने बताया कि यहाँ बीते कई सालों से बिजली नहीं है।
  • कई बार बीएसए को भी पत्र लिखा गया लेकिन अभी तक इस मामले में कोई करवाई नहीं हुई।
  • ऐसी हालत में बच्चे एक हाथ से पसीना पोंछते हैं और दूसरी तरफ किताब पढते हैं।
  • हालांकि सच्चाई ये भी है की गर्मी की वजह से बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लगता है।

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नहीं मिली ड्रेस

  • नया सत्र शुरू होने के इतने समय बाद भी अभी तक बच्चों को पूरी किताबें नहीं मिली हैं।
  • सातवीं के बच्चों ने बताया कि उन्हें कला, शिल्प, खेल आदि की किताबें नहीं मिली हैं।
  • वही अभी किसी भी क्लास के बच्चों को ड्रेस नहीं दी गयी है।
  • आपको बता दें की नियमानुसार एक बच्चे को दो ड्रेस एक साल में देने का प्रावधान है।
  • लेकिन अभी तक एक भी ड्रेस बच्छों को नहीं मिल सकी है।
  • ऐसे में स्कूल में नया प्रवेश लेने वाले बच्चे अभी घर के ही कपड़ों में स्कूल आ रहे हैं।
  • और बाकी बच्चे अपनी पुरानी यूनिफार्म पहनकर आने को मजबूर हैं।

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बैंक ने डोनेट किये थे पंखे
  • गुलाम हुसैनपुरवा के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बच्चों के लिए एक बैंक ने पंखे डोनेट किये थे।
  • ताकि बच्चों को गर्मी में न पढ़ना पड़ें। लेकिन दुर्भाग्य से ये पंखे हाथी के दांत साबित हो रहे हैं।
  • आपको बता दें इसी परिसर के प्राथमिक विद्यालय में भी सालों से बिजली नहीं थी।
  • लेकिन, बीते चुनाव में यहाँ के प्राथमिक विद्यालय को पोलिंग बूथ बनाया गया था।

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  • यही वजह थी की प्राथमिक विद्यालय में उस दौरान बिजली का कनेक्शन लगवा दिया गया।
  • जबकि उसी परिसर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बिजली नहीं लगवाई गयी।
  • स्कूल की शिक्षिका प्रभा सिंह का कहना की यहाँ बिजली न होने से बच्चों का पढ़ने में मन नहीं लगता है।
  • साथ ही बच्चों के बैठने की भी उचित व्यवस्था भी नहीं जिससे सर्दियों में परेशानी होती है।

 

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